Religious Katha: मन की संतुष्टि और प्रसन्नता के लिए खाएं ये अमर फल

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Apr, 2023 07:57 AM

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महान गणितज्ञ रामानुजम ने एक दिन अपने 9-10 वर्षीय बेटे को पैसे दिए और बाजार से फल खरीद कर लाने को कहा। पुत्र बाजार से फल

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Religious Katha: महान गणितज्ञ रामानुजम ने एक दिन अपने 9-10 वर्षीय बेटे को पैसे दिए और बाजार से फल खरीद कर लाने को कहा। पुत्र बाजार से फल लाने के लिए चल पड़ा। बाजार में फलों की एक से बढ़कर एक दुकान थी। बालक समझ नहीं पा रहा था कि किस दुकान से फल खरीदे। कुछ देर बाद वह घर लौटा तो पिता उसे खाली हाथ देखकर हैरान रह गए। पूछा, ‘‘तुम्हें  फल खरीदने भेजा था, तुम खाली हाथ क्यों लौट आए?’’

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पुत्र ने जवाब दिया, ‘‘पिता जी, मैं खाली हाथ नहीं लौटा हूं, बल्कि आज तो अपने साथ अमर फल लेकर आया हूं।’’

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बेटे की बात सुनकर  रामानुजम आश्चर्य से बोले, ‘‘बेटे, तुम्हें क्या हो गया है, तुम ऐसी अजीबो-गरीब बात क्यों कर रहे हो ? यह अमर फल क्या होता है और यह दिख क्यों नहीं रहा है?’’

बालक ने कहा, ‘‘पिता जी, मैं फल खरीदने बाजार गया, वहां अच्छी-अच्छी दुकानें सजी हुई थीं, मैं सोच ही रहा था कि फल कहां से खरीदूं, तभी मुझे एक वृद्ध महिला दिखी जो भूख से बेहाल थी। मुझसे देखा नहीं गया। मैंने उन रुपयों से उसको भोजन करा दिया। भोजन करने के बाद उस महिला ने मुझे ढेरों आशीर्वाद दिए। उससे मेरे मन को बहुत संतुष्टि और प्रसन्नता मिली। अब आप ही बताइए कि उस वृद्ध महिला का दिल से दिया गया आशीर्वाद क्या किसी अमर फल से कम है?’’

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