क्या आपने सुनी है महाभारत युद्ध की ये रोमांचक गाथा

Edited By Jyoti,Updated: 12 Jun, 2018 08:35 AM

religious story about mahabharata

महाभारत के युद्ध में प्रथम दिन ही पांडव सेना को पीछे हटना पड़ा। दूसरे दिन भी महाबाहु भीष्म के बाणों की वर्षा से पांडवों का व्यूह टूट गया। सारी सेना तितर-बितर हो गई। बहुत से सवार और घोड़े मारे गए

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)

PunjabKesari

महाभारत के युद्ध में प्रथम दिन ही पांडव सेना को पीछे हटना पड़ा। दूसरे दिन भी महाबाहु भीष्म के बाणों की वर्षा से पांडवों का व्यूह टूट गया। सारी सेना तितर-बितर हो गई। बहुत से सवार और घोड़े मारे गए, रथियों के झुंड के झुंड भागने लगे। महारथी भीष्म के ऐसे पराक्रम को देखकर अर्जुन क्रोध में भर गए और भगवान श्रीकृष्ण से बोले, ‘‘जनार्दन! अब पितामह भीष्म के पास रथ ले चलिए, नहीं तो ये हमारी सेना का अवश्य ही संहार कर डालेंगे। सेना को बचाने के लिए आज मैं भीष्म का वध कर डालूंगा।’’

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, ‘‘अच्छा, धनंजय! अब सावधान हो जाओ। यह देखो, मैं अभी तुम्हें पितामह के रथ के पास पहुंचा देता हूं।’’

PunjabKesari

श्रीकृष्ण अर्जुन के रथ को भीष्म के पास ले चले। भीष्म ने जब देखा कि अर्जुन अपने बाणों से शूरवीरों का मर्दन करते हुए बड़े वेग से आ रहे हैं तो आगे बढ़कर उनका सामना किया। उस समय अर्जुन के ऊपर भीष्म ने सतहत्तर, द्रोण ने पच्चीस, कृपाचार्य ने पचास, दुर्योधन ने चौंसठ, शल्य और जयद्रथ ने नौ-नौ, शकुनि ने पांच और विकर्ण ने दस बाण मारे।

इस प्रकार चारों ओर से तीखे बाणों से बिंध जाने पर भी महाबाहु अर्जुन तनिक भी व्यथित या विचलित नहीं हुए। उन्होंने अपने बाणों से भीष्म, कृपाचार्य और द्रोणाचार्य आदि को बींध डाला। इतने में ही सात्यकि, विराट, धृष्टद्युम्न, द्रौपदी के पांचों पुत्र और अभिमन्यु अर्जुन की सहायता के लिए आ पहुंचे।

PunjabKesari

पितामह भीष्म तथा किरीट धारी अर्जुन का रथ आमने-सामने था। पताकाएं रथों की शोभा बढ़ा रही थीं। उन दोनों के रथों में श्वेत घोड़े जुते हुए थे। उन्हें एक-दूसरे से भिड़े हुए देख सब राजा जोर-जोर से सिंहनाद करने और शंख फूंकने लगे। फिर क्या था, दोनों तरफ से बाणों की वर्षा होने लगी। भीष्म ने नौ बाणों से अर्जुन को गहरी चोट पहुंचाई। तब अर्जुन ने भी उन्हें दस मर्मभेदी बाणों द्वारा बींध डाला। अर्जुन ने फिर एक हजार बाणों द्वारा भीष्म को सब ओर से रोक दिया।

PunjabKesari

गंगा नंदन भीष्म ने अपने बाण समूहों से उन बाणों का निवारण कर दिया। अब क्या था, दोनों तरफ से बाण चलने लगे। भीष्म चलाते तो अर्जुन काटते, अर्जुन चलाते तो भीष्म काट देते थे। दोनों ही बलवान थे, दोनों ही अजेय। बाणों की वर्षा में कौरव भीष्म को तथा पांडव अर्जुन को उनके ध्वजा आदि चिन्हों से ही पहचान पाते थे। उन दोनों वीरों के पराक्रम को देखकर सभी प्राणी आश्चर्य करते थे। जैसे धर्म में स्थित रहकर बर्ताव करने वाले पुरुष में कोई दोष नहीं निकाला जा सकता, उसी प्रकार अर्जुन तथा भीष्म की रणकुशलता में कोई भूल नहीं दिखती थी।

PunjabKesari

बड़ा ही रोमांचक युद्ध था, दोनों ही संग्राम भूमि में एक-दूसरे के बाण समूहों से आच्छादित होकर अदृश्य हो जाते और उन्हें छिन्न-भिन्न करके शीघ्र ही प्रकाश में आ जाते थे। वहां आए हुए देवता, गंधर्व, चारण और महर्षिगण उन दोनों का पराक्रम देखकर आपस में कहने लगे कि ये दोनों महारथी वीर रोषावेश में भरे हुए हैं, अत: ये देवता, असुर और गंधर्वों सहित सम्पूर्ण लोकों के द्वारा भी किसी तरह जीते नहीं जा सकते। ये दोनों यदि लड़ते रहें तो जब तक यह संसार स्थित है, तब तक इन दोनों का यह युद्ध समान रूप से चलता रहेगा। भविष्य में ऐसे युद्ध होने की किसी प्रकार भी संभावना नहीं है। पितामह भीष्म तथा गाण्डीवधारी अर्जुन का यह युद्ध वीरों को आश्चर्यचकित करने वाला था।

अगर आपके बाल हैं काले तो ये देखना न भूलें (देखें Video)

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!