Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Jul, 2025 02:27 PM

Shani ka tirth sthan: भारत में शनिदेव के तीन तीर्थ स्थान प्रसिद्ध हैं—शिंगणापुर, कोकिला वन, चांदनी चौक दिल्ली। महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले में निवासा तहसील में शिंगणापुर नामक गांव में शनि का प्रसिद्ध मंदिर है। अपने चमत्कारिक प्रभावों के कारण यह शनि...
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Shani ka tirth sthan: भारत में शनिदेव के तीन तीर्थ स्थान प्रसिद्ध हैं—शिंगणापुर, कोकिला वन, चांदनी चौक दिल्ली। महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले में निवासा तहसील में शिंगणापुर नामक गांव में शनि का प्रसिद्ध मंदिर है। अपने चमत्कारिक प्रभावों के कारण यह शनि का प्रमुख तीर्थ स्थान बन चुका है। कहा जाता है कि लगभग 150 वर्ष पूर्व शिंगणापुर के समीप बहने वाले पानसर नाला में वर्षा के दिनों में आई बाढ़ से एक काली शिला बह कर गांव के समीप आ गई थी। दूसरे दिन जब चरवाहे बालकों ने इस शिला को देखा और उस पर जब लाठियों का प्रहार किया तो उससे रक्त टपकने लगा। इस अद्भुत शिला को देखकर ग्रामवासी भययुक्त आश्चर्य में पड़ गए। रात्रि में एक ग्रामवासी को शनिदेव ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि वे इस शिला के रूप में शिंगणापुर में स्थापित होना चाहते हैं।
जब ग्रामवासी शिला को गांव के अंदर लाने लगे तो उनसे वह शिला हिली तक नहीं। बाद में शनिदेव की आज्ञा से सगे मामा-भांजों ने ही उठाकर उस शिला को गाड़ी में रख दिया। कहा जाता है कि गांव वाले उस शिला को किसी अन्य स्थान पर स्थापित करना चाहते थे, किंतु जैसे ही गाड़ी चली, तुरंत ही वर्तमान में शिला जहां स्थित थी उस स्थान से निकली और वहीं स्वत: स्थापित हो गई। बाद में उसके आस-पास गांव वालों ने चबूतरा बना दिया। कहा जाता है कि चबूतरा बनाने के लिए गांव वालों ने पुन: शिला को उखाड़कर स्थापित करना चाहा, इसके लिए उन्होंने खड्ढा खोदा, किंतु उस शिला का छोर पता न लगा सके।

शनि रूपी शिला का प्रभाव इतना है कि इसके ऊपर किसी भी वृक्ष की छाया नहीं पड़ती है, आसपास कई वृक्ष हैं और जैसे ही उसकी कोई टहनी शनि देव पर छाया करने लगती है, वैसे ही वह सूख जाती है।

शनि का दूसरा प्रसिद्ध तीर्थ स्थल कोकिला वन है। यह मथुरा जिले में कोसी और नंद गांव के मध्य स्थित है। कहा जाता है कि शनि देव भगवान कृष्ण के दर्शन करने आए और उनके महलों में जाने लगे तो मां यशोदा ने उन्हें रोक दिया और कहा कि हे शनिदेव! आपसे लोग डरते हैं, आपको आता देखकर लोग गांव छोड़ कर भाग जाएंगे। अत: आप गांव के बाहर रह कर ही भगवान कृष्ण के दर्शन करें।

शनि भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए उत्सुक थे और साथ ही उनकी लीलाओं को देखना चाहते थे, परंतु मां यशोदा की आज्ञा से उन्हें गांव के बाहर ही रुकना पड़ा, उन्होंने अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए श्रीकृष्ण को आवाज लगा कर रोना आरंभ कर दिया। श्री कृष्ण शनिदेव के रुदन को सुनकर बाहर आए और शनिदेव की भक्ति देखकर उन्हें वरदान दिया कि वे कोकिला वन में रह कर न केवल कृष्ण के दर्शन कर सकते हैं, वरन उनकी लीलाओं को भी साक्षात देख सकते हैं। कलियुग में लोग तुम्हारी जय-जयकर करेंगे और कोकिला वन आकर अपनी पीड़ाओं से मुक्त होंगे। उसके बाद से ही शनि कोकिला वन में स्थापित हो गए। वर्तमान में कोकिला वन की परिक्रमा लगती है।

शनिदेव का तीसरा प्रसिद्ध तीर्थ स्थान दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित है। यहां शनि का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण सुखबीर अग्रवाल ने करवाया था। यहां नियमित दर्शन करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
‘सामना’ से साभार
