Shardiya Navratri Ashtami 2025: 29 या 30 सितंबर जानें, दुर्गा अष्टमी 2025 का मुहूर्त और पूरी जानकारी

Edited By Updated: 25 Sep, 2025 06:44 AM

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Shardiya Navratri Ashtami 2025: शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की आराधना की जाती है, जिसमें से अष्टमी और नवमी तिथि का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है

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Shardiya Navratri Ashtami 2025: शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दौरान नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की आराधना की जाती है, जिसमें से अष्टमी और नवमी तिथि का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि 2025 में दुर्गा अष्टमी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।

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2025 में दुर्गा अष्टमी कब ?
पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि इस बार  29 सितंबर को दोपहर 4 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 30 सितंबर 2025, मंगलवार को शाम 6 बजकर 6 मिनट पर इसका समापन होगा। चूंकि, अष्टमी तिथि का उदयकाल 30 सितंबर को है इसलिए महाष्टमी का पर्व मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप देवी महागौरी की पूजा की जाती है।

मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी का है। इनका वर्ण गौर यानी श्वेत है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पाने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण उनका शरीर काला पड़ गया था। तब शिवजी ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया, जिससे उनका वर्ण पुनः गौर हो गया। महागौरी की पूजा करने से भक्तों के सभी पाप और कष्ट दूर होते हैं। वे भक्तों को भय, दुख और नकारात्मकता से मुक्ति प्रदान करती हैं।

Time for Kanya Pujan कन्या पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 

पहला मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 01 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 13 मिनट तक। 

दूसरा मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक। 

अभिजीत मुहूर्त-  सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक। 

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इस दिन करें कन्या पूजन और हवन

दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन का बहुत महत्व है। इस दिन 9 छोटी बच्चियों को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं। यह माना जाता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कन्या पूजन की विधि: कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष की 9 बच्चियों और एक बालक  को भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है। उनके पैर धोकर, उन्हें स्वच्छ आसन पर बिठाया जाता है। उन्हें पूरी, हलवा, चना और अन्य व्यंजन परोसे जाते हैं। भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा और उपहार देकर आशीर्वाद लिया जाता है।

हवन का महत्व: अष्टमी पर हवन का भी विशेष महत्व है। हवन कुंड में अग्नि प्रज्वलित कर मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करते हुए आहुतियां दी जाती हैं। हवन से वातावरण शुद्ध होता है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
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