Surya grahan and shani amavasya 2025: 29 मार्च को बनेगा सूर्य ग्रहण और शनि अमावस्या का दुर्लभ संयोग, इस दौरान बरतें कुछ सावधानियां

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Mar, 2025 06:32 AM

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Surya grahan and shani amavasya 2025: 29 मार्च 2025 को शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। ज्योतिष विद्वान इस तिथि को अत्यन्त खास मान रहे हैं। वर्ष के पहले सूर्य ग्रहण के साथ शनि अमावस्या भी है। शनि अमावस्या को शनि संबंधित...

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Surya grahan and shani amavasya 2025: 29 मार्च 2025 को शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। ज्योतिष विद्वान इस तिथि को अत्यन्त खास मान रहे हैं। वर्ष के पहले सूर्य ग्रहण के साथ शनि अमावस्या भी है। शनि अमावस्या को शनि संबंधित दोषों का समाधान करने के लिए बहुत स्पेशल माना जाता है। सूर्य ग्रहण 29 मार्च की दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से आरंभ हो जाएगा और शाम 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगा। इस दौरान बरतें कुछ सावधानियां, जो आपके जीवन में चल रहे हर अमंगल से आपको बचाएंगी।

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सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है। जब चंद्र सूर्य व पृथ्वी के बीच आता है तब सूर्य कुछ देर के लिए अदृश्य हो जाता है। आम भाषा में इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। इसमे चंद्र, सूर्य व पृथ्वी एक ही सीध में होते हैं व चंद्र पृथ्वी और सूर्य के बीच होने की वजह से चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। सूर्य ग्रहण सदैव अमावस्या के दिन घटित होता है। पूर्ण ग्रहण के समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पूर्णतया अवरुद्ध हो जाता है। ग्रहण को धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है। भारतीय ज्योतिष में ग्रहण का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर होता है।

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Do not do these things on Solar Eclipse and Shani Amavasya सूर्य ग्रहण और शनि अमावस्या पर न करें ये काम :
रसोई में खाना नहीं बनाना चाहिए।

दाढ़ी, नाखून, बाल न काटें।

ग्रहण के दौरान मंदिर में पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए, मंत्रों का उच्चारण किया जा सकता है। 

सूतक तथा ग्रहण काल में मूर्त स्पर्श, अनावश्यक खाना पीना, संसर्ग आदि से बचना चाहिए।

गर्भवती महिलाएं अधिक श्रम न करें। मान्यता है कि गर्भस्थ शिशु या ग्रहण काल गर्भवती होने से जन्म लेने वाली संतान पर शारीरिक प्रभाव पड़ता है।

तामसिक चीजों से दूर रहें।

बड़े-बुजुर्गों का अपमान न करें।

ग्रहण काल में सूर्य को सीधे न देखा जाए। 

संक्रमण व विकीरणों से बचने के लिए तुलसी का प्रयोग करें। 

कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।

नशा न करें।

संभोग नहीं करना चाहिए।

खुले में खाद्य सामग्री न रखें।

ग्रहण लगने से पहले और दो दिन बाद तक के संक्रमण काल में कोई भी शुभ अथवा महत्वपूर्ण काम, विवाह, निर्माण, नए व्यवसाय का आरंभ, सगाई, लंबी अवधि का निवेश, मकान का सौदा या एडवांस आदि काम नहीं करने चाहिए क्योंकि उनके सफल होने में संदेह रहता है।

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