Vaishakh Amavasya 2025: पूर्वजों की कृपा पाने के लिए आज का दिन है बेहद खास, इन उपाय द्वारा खुलेंगे भाग्य के दरवाजे

Edited By Updated: 27 Apr, 2025 02:42 PM

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वैशाख अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है। इस दिन का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। माना जाता है कि वैशाख अमावस्या पर पितरों की

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 Vaishakh Amavasya 2025: वैशाख अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि है। इस दिन का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। माना जाता है कि वैशाख अमावस्या पर पितरों की आत्मा को तृप्त करने और पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए किए गए उपाय अत्यंत फलदायी होते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन किए गए श्राद्ध, दान, स्नान और जप से कुंडली में स्थित पितृदोष का प्रभाव समाप्त हो सकता है और सुख-समृद्धि का मार्ग खुलता है। तो चलिए जानते हैं वैशाख अमावस्या के दिन कौन से उपाय करने चाहिए। 

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Remedies for Pitra Dosha पितृदोष के अचूक उपाय 

मान्यता है कि पीपल के वृक्ष में त्रिदेव  ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है और साथ ही पितरों का भी निवास होता है। इस दिन सूर्योदय के समय पीपल के वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल, दूध, काले तिल, पुष्प और चावल अर्पित करें। फिर श्रद्धा भाव से दीपक जलाकर 7 बार या कम से कम 3 बार उसकी परिक्रमा करें।

इस पावन दिन पर क्षमता अनुसार जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, अन्न और धन का दान करना बहुत पुण्यकारी माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि अमावस्या के दिन किया गया दान सीधा पितरों तक पहुँचता है और उन्हें तृप्त करता है।

वैशाख अमावस्या के दिन पितृ स्तोत्र या पितृ सूक्त का श्रद्धा और भक्ति से पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इन मन्त्रों का उच्चारण करते समय पितरों का आह्वान होता है, वे तृप्त होते हैं और अपनी कृपा वर्षा करते हैं। कुंडली में उपस्थित पितृदोष का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता है। ऐसा करने से जीवन की रुकावटें और परेशानियां दूर होती हैं। मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।

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वैशाख अमावस्या के दिन शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में पितरों के नाम का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।दक्षिण दिशा को शास्त्रों में पितरों की दिशा कहा गया है। दीपक का प्रकाश पितरों तक ऊर्जा और श्रद्धा का संदेश पहुंचाता है।

वैशाख अमावस्या के दिन गाय, कुत्ते, कौवे और अन्य पशु-पक्षियों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यकारी और पितरों को तृप्त करने वाला कार्य माना गया है। मान्यता है कि इन जीवों के माध्यम से पितरों तक अन्न और जल पहुँचता है, जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

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