Edited By Jyoti,Updated: 12 Apr, 2022 12:54 PM
अगर आप हमारी वेबसाइट को नियमित रूप से फॉलो करते हैं तो आप लोग अब तक कई तरह के वास्तु दोषों के बारे में जान चुके हैं। लगातार हम आपको वास्तु शास्त्र में दी गई जानकारी आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
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अगर आप हमारी वेबसाइट को नियमित रूप से फॉलो करते हैं तो आप लोग अब तक कई तरह के वास्तु दोषों के बारे में जान चुके हैं। लगातार हम आपको वास्तु शास्त्र में दी गई जानकारी आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। इस कड़ी में हम आपको वास्तु शास्त्र के महत्व से, वास्तु दोषों के बारे में व वास्तु में दिशाओं की महत्ता से लेकर इसके अनुसार घर में रखी हर चीज़ का वास्तु से संबंध व प्रभाव से अवगत करवाते आए हैं। इसके अलावा आप हमारी वेबसाइट की मदद से कई वास्तु उपायों से भी रूबरू हो चुके हैं। आज भी आपको वास्तु दोष को दूर करने के कुछ खास उपाय बताने जा रहे हैं। दरअसल वास्तु शास्त्र में दोषों से राहत पाने के लिए उपाय के तौर पर कई तरह के यंत्र भी बताए गए हैं।
वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि ये यंत्र जहां एक तरफ जीवन में से वास्तु दोष समाप्त होते हैं, बल्कि गृहस्वामी को अपने जीवन में अपार लाभ प्राप्त होता है। साथ ही साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी अपने जीवन में सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है, तमाम तरह की कठिनाईयों से छुटकारा मिलता है।
तो आइए जानते हैं कौन से हैं ये यंत्र-
दुर्गा यंत्र-
वास्तु विशेषज्ञ के अनुसार दुर्गा यंत्र वास्तुदोष को दूर करके अनेक प्रकार के वेधों का शमन करता है। इसके शुभ प्रभाव से गृहस्वामी सुखी रहता है।
यंत्र-
दु |
र्गा |
यै |
4 |
9 |
2 |
|
|
|
दुं |
ॐ |
न |
3 |
5 |
7 |
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|
|
क्लीं |
स्त्रीं |
मः |
8 |
1 |
6 |
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उपरोक्त यंत्र को दुर्गा मंत्र से 108 बार अभिमंत्रित करके मुख्य प्रवेश द्वार पर लगाना चाहिए। यहां जानें मंत्र-
ॐ नमो भगवती वास्तुदेव्यै नमः।
इंद्राणी यंत्र-
वास्तु शास्त्र की मानें तो इंद्राणी यंत्र को एक सुरक्षा कवच माना जाता है, जो सिद्ध बीसा यंत्र का मानवीकरण है। इसको लेकर ऐसा कहा जाता है "जिसके पास हो बीसा, उसका क्या करे जगदीशा।"
अगर इसे व्यावसायिक दृष्टिकोण के सम्यक रहने तथा नानाविधि प्रयत्न करने के बावजूद हानि होती रहे तो वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेकर इंद्राणी यंत्र की स्थापना करनी चाहिए, ताकि निरंतर होने वाली हानि से बच सके।
(नोट- इस आर्टिकल में दी गई जानकारी की, पंजाब केसरी किसी तरह की पुष्टि नहीं करता, ये धार्मिक व वास्तु मान्यताओं पर आधारित हैं।)