Edited By Sarita Thapa,Updated: 18 May, 2025 02:02 PM

Vidur Niti: विदुर महाभारत के एक अत्यंत ज्ञानी और नीतिवान पात्र थे। उन्होंने राजा धृतराष्ट्र को जो नीति ज्ञान दिया, वह आज भी जीवन के हर पहलू में बहुत साहयक साबित होते हैं।
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Vidur Niti: विदुर महाभारत के एक अत्यंत ज्ञानी और नीतिवान पात्र थे। उन्होंने राजा धृतराष्ट्र को जो नीति ज्ञान दिया, वह आज भी जीवन के हर पहलू में बहुत साहयक साबित होते हैं। विदुर नीति में इस धरती पर जीवन को सुखी बनाने वाले प्रमुख सुख और कुछ लक्षण ऐसे बताए गए है, जो किसी व्यक्ति के दुखी होने का कारण बनते हैं। तो आइए जानते हैं विदुर नीति से इनके बारे में-
विदुर नीति के अनुसार धरती के 6 सुख
स्वास्थ्य
विदुर नीति के अनुसार, किसी व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य शरीर ही सबसे बड़ा धन है। बीमार व्यक्ति कोई भी सुख भोग नहीं सकता। जो व्यक्ति पूरी तरह से स्वास्थ्य है, इसका मतलब वह सुखी है।
कर्ज मुक्ति
विदुर नीति के अनुसार, जिस व्यक्ति के सिर पर कोई कर्ज नहीं है और और जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए उचित मात्रा में धन है, वो ही धरती का सुखी व्यक्ति है।
सुन्दर जीवनसाथी
नीतिवान पात्र विदुर के अनुसार, जो व्यक्ति अपने जीवनसाथी से प्रेम और सहयोग पाता है, वह वास्तव में भाग्यशाली है और सुखी कहलाता है।
सच्चे मित्र
विदुर नीति के अनुसार, इस धरती पर अगर आज कल के समय में सच्चे और विश्वासपात्र मित्र आपके पास है, तो अपने आप को भाग्यशाली और सुखी समझें।
आज्ञाकारी संतान
विदुर नीति में कहा गया है कि संतुलित और मर्यादित संतान जीवन को सुखद बनाती है। जिस व्यक्ति के पास ऐसे आज्ञाकारी संतान हा, तो बहुत धरती के सुखी व्यक्ति में से एक है।

दुखी लोगों के कुछ लक्षण
आलस्य
विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति किसी काम को करने में आलस्य करता है, तो भाग्य भी उसका साथ नहीं देता। ऐसे लोग हमेशा अपने जीवन में दुखी रहते हैं।
दूसरों की बुराई करना
नीतिवान पात्र विदुर के अनुसार, जो व्यक्ति सदैव दूसरों की आलोचना करता है, वह भीतर से खोखला हो जाता है। ऐसे व्यक्ति कभी भी खुश नहीम रह पाता और दूसरों की निंदा में अपना जीवन व्यर्थ करता है।
अति लोभ
विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति जरूरत से ज़्यादा पाने की लालसा रखता है।अति लोभ की भावना स्वयं के दुख का कारण बनती है।
स्वार्थी व्यवहार
विदुर नीति के अनुसार, जो व्यक्ति हर व्यक्ति केवल अपने बारे में सोचता है, वह कभी सच्चा सुख अनुभव नहीं कर पाता।
