Edited By Lata,Updated: 30 Jun, 2019 11:48 AM
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्व दिया जाता है और वहीं पूजा की साम्रगी की बात करें तो उसमें फूलों का भी बड़ा महत्व है।
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हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्व दिया जाता है, तो वहीं अगर हम बात करें पूजा में इस्तेमाल होने वाली साम्रगी की तो उसमें फूल ज्यादा महत्व रखते हैं। मान्यता है कि भगवान को फूलों से बहुत स्नेह है। ऐसा माना गया है कि अगर कोई श्रद्धा-भाव से उन्हें फूल अर्पण कर दे तो उसके सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं। इसके अलावा हर शुभ कार्य में भी फूलों का प्रयोग किया जाता है। वहीं दूसरी ओर ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान किसी अन्य चीज़ को चढ़ाने से ज्यादा प्रसन्न नहीं होते, जितना वह फूल अर्पित करने से हो जाते हैं। कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति पूजा से एक दिन पहले ही फूल ले आते हैं और फिर वही पुराने फूल भगवान को चढ़ा देते हैं, लेकिन ऐसा पूजा में नहीं करना चाहिए। इसके पीछे भी एक कारण जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।
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कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फूल में अलग-अलग तरह के पांचों तत्व पाए जाते हैं। पृथ्वी तत्व होने के कारण इसमें सुगंध होती है। अग्नि तत्व होने की वजह से ये हमें स्थूल रूप में दिखाई देती है। वायु तत्व होने के कारण हम इसे अपनी हाथों से स्पर्श करते हैं। ऐसे में देवी-देवताओं को फूल डंठल के साथ ही अर्पित करना चाहिए। डंठल को हमेशा देवी-देवता की ओर और फूल को अपनी तरफ करके ही अर्पित करना शुभ माना गया है।
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वहीं दूसरी ओर अगर भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाना है तो ऐसे में इसकी डंठल को भगवान की ओर और इसकी पत्तियों को अपनी ओर करके चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि फूलों से पूजा करने वालों को सुगंध के रूप में शक्ति की तरंगें प्राप्त होती हैं। साथ ही साथ देवी-देवताओं को अर्पित फूलों से 2-3 घंटे तक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहता है। जैसे ही फूल मुरझाना शुरू करता है सकारात्मक ऊर्जा कम होने लगती है। इसलिए कहा जाता है कि बासी या मुरझाए हुए फूलों को पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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