विक्रांत मैसी की गहरी सोच से सम्राट पृथ्वीराज की गाथा को मिला नया अर्थ और सम्मान

Updated: 10 Jun, 2025 02:28 PM

vikrant massey s view on prithviraj chauhan

विक्रांत मैसी ने इतिहास के प्रति अपनी पुरानी दिलचस्पी को एक बार फिर टटोलना शुरू किया, लेकिन उनके लिए इतिहास सिर्फ तारीखों और घटनाओं का सिलसिला नहीं, बल्कि आज की सोच को समझने का एक आईना है।

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। विक्रांत मैसी का 'पृथ्वीराज' एक विक्टिम नहीं, बल्कि विजेता की तरह सामने आता है। हमारे देश में जहां ऐतिहासिक कहानियां बार-बार श्रद्धा के साथ दोहराई जाती हैं, वहां कुछ नया और सच में अलग दिखाने के लिए हिम्मत और नज़रिया चाहिए।

विक्रांत मैसी की नजर वहां भी कुछ खास देख लेती है, जहां बाकी लोग सिर्फ एक और इतिहास की कहानी मान लेते हैं। हाल ही में उन्होंने सोनी टीवी के शो चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान को लेकर एक पोस्ट शेयर किया, जो शुरुआत में तो बस तारीफ लग रही थी, लेकिन धीरे-धीरे वो एक गंभीर सोच बन गई — कि हम सब पृथ्वीराज चौहान जैसे महान शासक को किस नजरिए से समझते आए हैं।

यह शो देखने के बाद विक्रांत मैसी ने इतिहास के प्रति अपनी पुरानी दिलचस्पी को एक बार फिर टटोलना शुरू किया, लेकिन उनके लिए इतिहास सिर्फ तारीखों और घटनाओं का सिलसिला नहीं, बल्कि आज की सोच को समझने का एक आईना है। आमतौर पर जो कहानी सुनाई जाती है, उसमें पृथ्वीराज चौहान को वो राजा बताया जाता है जो मोहम्मद गौरी से हार गया। लेकिन विक्रांत ने इस नज़रिए को चुनौती दी। उन्होंने बताया कि पृथ्वीराज ने गौरी को सोलह बार हराया था और अंत में हार छल से हुई थी, कमजोरी से नहीं।

लेकिन विक्रांत की बात यहीं खत्म नहीं हुई। उन्होंने एक ऐसा पहलू सामने रखा, जिस पर बहुत कम लोग ध्यान देते हैं कि इतिहास अपने किरदारों को कैसे याद रखता है। पृथ्वीराज चौहान की धरती, उनके लोग और उनके आदर्श आज भी दिल्ली, अजमेर और राजपुताना में ज़िंदा हैं। वहीं, मोहम्मद गौरी का इलाका इतिहास की धुंध में कहीं खो चुका है। विक्रांत ने कहा, “किसी सभ्यता का पतन एक लड़ाई से तय नहीं होता,” और ये याद दिलाया कि असली हार हारने में नहीं, भुला दिए जाने में है।

इस बात को खास बनाता है सिर्फ इतिहास की बात नहीं, बल्कि वो तरीका है जिससे विक्रांत इसे महसूस करते हैं। बरसों से पृथ्वीराज को बस एक हारा हुआ राजा मान लिया गया है। लेकिन विक्रांत की नजर में वो कोई हारने वाला नहीं, बल्कि ऐसा शख्स है जो आखिरी वक़्त तक डटा रहा। ना हिम्मत टूटी, ना सोच बदली। एक ऐसा राजा जिसकी विरासत आज भी करोड़ों दिलों में ज़िंदा है, जबकि उसे हराने वाला ज़ाहिर तौर पर सांस्कृतिक यादों से गायब हो चुका है।

यही तो खास बात है। यह सिर्फ एक पोस्ट नहीं है, बल्कि ये याद दिलाना है कि सही कहानी बताने वाला और सही नजरिया पूरी कहानी को कैसे बदल सकता है। विक्रांत मैसी ने अपनी गहरी समझ और साफ सोच के साथ पृथ्वीराज की कहानी को सिर्फ एक दुखद अंत के तौर पर नहीं, बल्कि एक ज़िंदादिल जीत के रूप में पेश किया है।

जब ऐतिहासिक ड्रामे अक्सर एक जैसे लगने लगते हैं, तब विक्रांत मैसी की नजर से 'चक्रवर्ती सम्राट पृथ्वीराज चौहान' एक झकझोर देने वाली बात बन जाती है। विक्रांत मस्सी, जो सिर्फ बेहतरीन कलाकार ही नहीं बल्कि पढ़े-लिखे शख्स भी हैं, उनके कारण हम इस कहानी की असली, सच्ची और जीत वाली भावना को देख पा रहे हैं।

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