Edited By Tanuja,Updated: 27 Dec, 2025 01:22 PM

बांग्लादेश के फरीदपुर में मशहूर रॉक गायक जेम्स का संगीत समारोह भीड़ के हिंसक हमले के बाद रद्द कर दिया गया। कार्यक्रम स्थल पर पथराव में कम से कम 20 छात्र घायल हुए। घटना ने देश में बढ़ती सांस्कृतिक असहिष्णुता और कलाकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े...
International Desk: बांग्लादेश में बढ़ती असहिष्णुता और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए मशहूर रॉक गायक जेम्स का संगीत समारोह हिंसक भीड़ के हमले के बाद रद्द कर दिया गया। यह घटना फरीदपुर में उस समय हुई जब कार्यक्रम शुरू होने ही वाला था। पथराव और जबरन घुसपैठ की कोशिश में कम से कम 25 छात्र घायल हो गए। यह संगीत कार्यक्रम फरीदपुर जिला स्कूल के 185वें स्थापना दिवस के समापन समारोह के तहत आयोजित किया गया था। समाचार पोर्टल टीबीएसन्यूज डॉट नेट के अनुसार, देर रात स्कूल परिसर में बनाए गए अस्थायी मंच पर कार्यक्रम होना था। लेकिन इससे ठीक पहले कुछ बाहरी लोगों के एक समूह ने प्रवेश से रोके जाने पर हंगामा शुरू कर दिया।
प्रत्यक्षदर्शियों और आयोजकों के अनुसार, हमलावरों ने ईंट-पत्थर फेंके, मंच पर कब्जा करने की कोशिश की और माहौल को हिंसक बना दिया। स्कूल के छात्रों ने हमलावरों का विरोध किया, लेकिन पथराव में कई छात्र घायल हो गए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (सदर सर्कल) अजमीर हुसैन ने कहा कि घायलों की वास्तविक संख्या की पुष्टि की जा रही है। उन्होंने बताया कि हालात को काबू में करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया। द डेली स्टार अखबार के अनुसार, स्थिति बिगड़ने के बाद आयोजन समिति के संयोजक मुस्तफिजुर रहमान शमीम ने जिला प्रशासन के निर्देश पर कार्यक्रम रद्द करने का फैसला लिया। जेम्स, जिनका असली नाम फारूक महफूज अनम जेम्स है, बांग्लादेशी रॉक बैंड ‘नगर बाउल’ के प्रमुख गायक, गीतकार और गिटार वादक हैं।
उन्होंने भारत की हिट फिल्मों ‘गैंगस्टर’, ‘वो लम्हे’ और ‘लाइफ इन अ… मेट्रो’ में भी गाने गाए हैं। कार्यक्रम की प्रचार और मीडिया उप-समिति के संयोजक राजीबुल हसन खान ने कहा कि हमले के पीछे का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। उन्होंने स्वीकार किया कि मौजूदा हालात में कलाकारों और दर्शकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं था। गौरतलब है कि हाल के हफ्तों में ढाका स्थित छायानट और उदिची शिल्पी गोष्ठी जैसे सांस्कृतिक संगठनों पर भी हमले और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं, जिससे बांग्लादेश में सांस्कृतिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।