बांग्लादेश में पुराने दस्तावेज़ों से बड़ा दावा: मुहम्मद यूनुस ने माइक्रोक्रेडिट मॉडल ‘हाईजैक’ किया !

Edited By Updated: 26 Nov, 2025 07:40 PM

muhammad yunus hijacked microcredit from university research

पूर्व बांग्लादेशी इंटेलिजेंस अधिकारी अमीनुल हक पोलाश ने दावा किया है कि मुहम्मद यूनुस ने माइक्रोक्रेडिट मॉडल को खुद विकसित नहीं किया, बल्कि चिटगांव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार मॉडल को हाईजैक कर अपना बताया। पोलाश के अनुसार यूनुस शासन अब...

International Desk:  नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश के प्रतिष्ठित ग्रेमीन बैंक के संस्थापक माने जाने वाले मुहम्मद यूनुस एक नई विवादित ‘खोज’ के कारण सवालों के घेरे में आ गए हैं।दावा है कि जिस माइक्रोक्रेडिट मॉडल ने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई, वह वास्तव में चिटगांव यूनिवर्सिटी का एक शोध कार्यक्रम था जिसे यूनुस ने बाद में “अपना मॉडल” बताकर दुनिया के सामने पेश किया।
 

पूर्व इंटेलिजेंस अधिकारी का बड़ा खुलासापूर्व बांग्लादेशी इंटेलिजेंस अधिकारी अमीनुल हक पोलाश, जिन्होंने NSI में 10 साल की सेवा दी और बाद में एक राजनयिक रहे, ने 1976–1983 के बीच के कई आर्काइव दस्तावेज़ सामने लाए हैं।उन्होंने दावा किया किमाइक्रोक्रेडिट की असली शुरुआत यूनुस द्वारा नहीं, बल्कि यूनिवर्सिटी के जूनियर रिसर्चरों ने की थी।  यूनुस उस समय सिर्फ डीप ट्यूबवेल कोऑपरेटिव मैनेजमेंट के लिए नियुक्त थे। लेकिन बाद में उन्होंने इस मॉडल को हाईजैक कर अपना बताकर प्रचारित किया।पोलाश वर्तमान में निर्वासन में रह रहे हैं। उनका आरोप है कि यूनुस शासन ने उन्हें टारगेट कर देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

  

IANS द्वारा देखे गए दस्तावेज़ों के अनुसार 
मॉडल की असली शुरुआत (1976) चिटगांव यूनिवर्सिटी में रूरल इकोनॉमिक्स प्रोग्राम (REP) की शुरुआत हुई। इसे फोर्ड फ़ाउंडेशन की फंडिंग मिली। पहले माइक्रो-लोन का प्रयोग जोबरा गांव में शापन अदनान, नसीरुद्दीन और एच.आई. लतीफी जैसे रिसर्च स्कॉलरों ने किया। उस समय यूनुस सिर्फ कार्यक्रम से जुड़े एक छोटे हिस्से के प्रभारी थे। बांग्लादेश बैंक ने मॉडल को अपनाया और देशभर में लागू करने की योजना बनाई इससे पहले कि यूनुस आधिकारिक तौर पर इससे जुड़े।

  

6 जून 1983 के पत्र में फोर्ड फ़ाउंडेशन ने चिटगांव यूनिवर्सिटी को ग्रामीण वित्त परियोजना के लिए अनुदान स्वीकृत किया। 1976 के यूनिवर्सिटी प्रोजेक्ट से शुरू होकर यह मॉडल धीरे-धीरे सरकारी आदेश के जरिए स्वतंत्र बैंक में बदला। यूनुस पहले प्रोजेक्ट डायरेक्टर बने। 1983 के ग्रेमीन बैंक ऑर्डिनेंस के बाद वे मैनेजिंग डायरेक्टर बन गए।1990 के दशक तक उन्होंने बैंक पर पूरा नियंत्रण हासिल कर लिया ऐसा संस्थान जो सार्वजनिक धन से तैयार हुआ था।

 

 ‘यूनुस शासन' पर गंभीर आरोप
पोलाश का आरोप है कि यूनुस ने 2024 में ग़ैर-लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता हथिया ली। अब वे राज्य मशीनरी का इस्तेमाल  विरोध खत्म करने,अपने नेटवर्क को लाभ पहुँचाने,भ्रष्टाचार मामलों को दबाने, ग्रेमीन कंपनियों को आर्थिक फ़ायदे देने  के लिए कर रहे हैं। उनका दावा है कि “जिस आदमी ने एक ग्रामीण शोध परियोजना चुरा ली… वही आज पूरा देश चला रहा है, उसी कब्जे की भूख के साथ।”

 

आरोपों की गंभीरता

  • कैदियों की सज़ाएँ पलटी जा रही हैं।
  • भ्रष्टाचार मामलों की फाइलें बंद की जा रही हैं।
  • लाइसेंस और टैक्स छूट के जरिए ग्रेमीन नेटवर्क को लाभ दिया जा रहा है।
  • शासन में भीषण भाई-भतीजावाद बढ़ रहा है।
     

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