Edited By Mehak,Updated: 28 Dec, 2025 01:16 PM

अफगानिस्तान वर्तमान में गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है। 2025 में लगभग 2.29 करोड़ लोग, यानी देश की आधी आबादी, किसी न किसी रूप में मानवीय सहायता पर निर्भर रही। अंतरराष्ट्रीय मदद में भारी कटौती के कारण केवल सीमित लोगों तक राहत पहुंच सकी है। सर्दियों...
इंटरनेशनल डेस्क : अफगानिस्तान में इस समय लाखों लोग बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। देश की लगभग आधी आबादी यानी करीब 2.29 करोड़ लोग 2025 में किसी न किसी रूप में मानवीय सहायता पर निर्भर रहे। इसका मतलब है कि करोड़ों लोग बिना बाहरी मदद के अपना पेट नहीं भर सकते।
मदद में कमी और गंभीर भूख
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग में कटौती के कारण हालात और गंभीर हो गए हैं। अमेरिका समेत कई देशों ने मदद कम कर दी है, जिससे वर्ल्ड फूड प्रोग्राम और अन्य राहत संगठन सीमित संसाधनों के साथ काम करने को मजबूर हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि इस सर्दी में करीब 1.7 करोड़ अफगान गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 30 लाख से ज्यादा बढ़ गई है।
अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक आपदाओं का असर
अफगानिस्तान पहले ही कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है। महंगाई, बेरोजगारी और ठंड ने हालात और खराब कर दिए हैं। ऊपर से सूखा, भूकंप और पड़ोसी देशों से लाखों शरणार्थियों की वापसी ने संकट और गहरा दिया है। खाने, रहने और इलाज जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए संसाधन अब काफी कम हैं।
अंतरराष्ट्रीय मदद में रुकावट
संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह कई सालों में पहली बार है जब सर्दियों में लगभग कोई अंतरराष्ट्रीय खाद्य वितरण नहीं हो पाया। 2025 में केवल 10 लाख लोगों को मदद मिल सकी, जबकि 2024 में 56 लाख लोगों तक यह सहायता पहुंची थी। फंड की कमी के कारण 2026 में केवल 39 लाख सबसे जरूरतमंद लोगों पर ध्यान दिया जाएगा।
शरणार्थियों की वापसी ने बढ़ाया बोझ पिछले चार साल में करीब 71 लाख अफगान शरणार्थी देश लौट चुके हैं। रहीमुल्लाह भी उन्हीं में से एक हैं। वह पहले अफगान सेना में थे और 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान भाग गए थे, लेकिन दो साल बाद वापस लौट आए। अफगानिस्तान में मानवीय संकट गंभीर रूप ले चुका है। भोजन, रहने और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी ने लाखों लोगों की जिंदगी मुश्किल बना दी है, और आने वाले समय में मदद की कमी और बढ़ सकती है।