Edited By Tanuja,Updated: 29 Sep, 2025 01:40 PM

पाकिस्तान, चीन, ईरान और रूस ने अफगानिस्तान में किसी भी नए सैन्य ठिकाने की स्थापना का विरोध किया है। चारों देशों ने अफगानिस्तान की संप्रभुता और स्थिरता बनाए रखने, आतंकवाद और कट्टरवाद से निपटने तथा आर्थिक विकास में सहयोग करने का समर्थन किया।
International Desk: पाकिस्तान ने अचानक रुख बदलते हुए ईरान और चीन-रूस के साथ मिलकर अफगानिस्तान और उसके आसपास अमेरिकी सैन्य अड्डों की स्थापना का विरोध किया है। चारों देशों ने संयुक्त बयान में कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने अमेरिकी सैन्य उपस्थिति के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और क्षेत्रीय सुरक्षा व शांति बनाए रखने का आह्वान किया। पाकिस्तान और उसके प्रमुख पड़ोसी देशों चीन और ईरान ने रूस के साथ मिलकर ‘‘अफगानिस्तान और उसके आसपास किसी भी सैन्य अड्डे'' की स्थापना का विरोध किया है तथा काबुल की ‘संप्रभुता' और ‘क्षेत्रीय अखंडता' का सम्मान करने का आह्वान किया है।
चारों देशों ने यह विरोध ऐसे समय में दर्ज कराया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान में अपने देश की सैन्य उपस्थिति की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं। चीन, ईरान, पाकिस्तान और रूस के विदेश मंत्रियों की चौथी चतुष्पक्षीय बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के दौरान बृहस्पतिवार को न्यूयॉर्क में हुई। बाद में बैठक के संबंध में एक संयुक्त बयान पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने साझा किया। संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, ‘‘ चारों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए तथा उन्होंने वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार देशों द्वारा अफगानिस्तान में और उसके आसपास सैन्य ठिकानों की पुनः स्थापना का दृढ़ता से विरोध किया..।''
चारों देशों ने आतंकवाद, युद्ध और मादक पदार्थों से मुक्त, एक स्वतंत्र, एकजुट और शांतिपूर्ण देश के तौर पर अफगानिस्तान के प्रति अपना समर्थन दोहराते हुए कहा कि वे प्रभावी क्षेत्रीय पहल का समर्थन करते हैं जिसका मकसद इसकी अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाना है। उन्होंने अफगानिस्तान में आतंकवाद के मद्देनजर सुरक्षा स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की तथा चेतावनी दी कि आईएसआईएल, अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और मजीद ब्रिगेड सहित क्षेत्र के अन्य समूह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता, आतंकवाद, कट्टरवाद और मादक पदार्थ अपराध का मुकाबला करना साझा क्षेत्रीय हित हैं।