पाकिस्तान की सियासत में सुनामी! राष्ट्रपति प्रणाली लाने की तैयारी, खतरे में PM शहबाज की कुर्सी

Edited By Updated: 09 Jul, 2025 06:21 PM

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पाकिस्तान की राजनीति में एक बड़ा सत्ता परिवर्तन होने की चर्चाएं जोरों पर हैं। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं, और उनकी जगह देश के शक्तिशाली...

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजनीति में एक बड़ा सत्ता परिवर्तन होने की चर्चाएं जोरों पर हैं। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी जल्द ही अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं, और उनकी जगह देश के शक्तिशाली सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर को नया राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। साथ ही,  प्रधानमंत्री पद के लिए बिलावल भुट्टो जरदारी का नाम तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान में संसदीय प्रणाली को बदलकर राष्ट्रपति प्रणाली लागू करने की तैयारी भी चल रही है।

 

जरदारी के इस्तीफे की अटकलें तेज
जरदारी की गिरती सेहत को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द पद छोड़ सकते हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, उन्होंने शर्त रखी है कि यदि उनके बेटे बिलावल भुट्टो को कोई अहम पद दिया जाए, तो वे पद छोड़ने को तैयार हैं।  पीपीपी की हालिया बैठकों में कई वरिष्ठ नेताओं ने बिलावल को प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग की है।

 

आर्मी चीफ मुनीर बनेंगे राष्ट्रपति 
फील्ड मार्शल  असीम मुनीर को हाल ही में पाकिस्तान के सैन्य इतिहास का सबसे उच्च दर्जा प्राप्त हुआ है। अब तक यह सम्मान सिर्फ अयूब खान को मिला था। इस पद के साथ उन्हें आजीवन सैन्य विशेषाधिकार, कानूनी संरक्षण और असंवैधानिक दखल से सुरक्षा मिलती है। माना जा रहा है कि वह राष्ट्रपति पद संभालने के बाद प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि  पूरा सिस्टम बदलने की योजना पर काम करेंगे।

 

शरीफ परिवार में हड़कंप 
मौजूदा पीएम शहबाज शरीफ और उनकी पार्टी  पीएमएल-एन इस संभावित सियासी बदलाव का विरोध कर रहे हैं।  डर है कि राष्ट्रपति प्रणाली लागू होते ही न सिर्फ शहबाज की कुर्सी जाएगी, बल्कि शरीफ परिवार की सियासी पकड़ भी कमजोर हो जाएगी।  खबर है कि पीएमएल-एन अब आर्मी के अन्य धड़ों से संपर्क में है, ताकि बिलावल और मुनीर के गठजोड़ को रोका जा सके।

 
संविधान में बदलाव की तैयारी
विश्लेषकों के अनुसार, मुनीर चाहते हैं कि संसद, न्यायपालिका और मीडिया पर उनका पूरा नियंत्रण हो। उनकी हालिया अंतरराष्ट्रीय यात्राओं (वॉशिंगटन, बीजिंग, रियाद) को पाकिस्तानी स्थिरता का प्रतिनिधि कहा जा रहा है।  आशंका है कि  मुनीर संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति प्रणाली लागू कर सकते हैं और यह ‘जनरल जिया-उल-हक’ के 1977 के तख्तापलट जैसा ‘सॉफ्ट कूप’ साबित हो सकता है।


सेना प्रमुखों का राष्ट्रपति बनना कोई नई बात नहीं
पाकिस्तान के इतिहास में सेना प्रमुखों का राष्ट्रपति बनना कोई नई बात नहीं है। अब तक तीन आर्मी जनरल तख्तापलट के जरिए देश की सत्ता संभाल चुके हैं।

  •  जनरल अयूब खा  ने 1958 में तख्तापलट किया और फिर राष्ट्रपति बन गए। उनका कार्यकाल 1969 तक चला।
  •  जनरल जिया-उल-हक ने 1977 में सत्ता हथियाई और 1988 तक राष्ट्रपति के रूप में देश पर राज किया।
  •  जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 में तख्तापलट किया और फिर 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे।

अब चर्चा है कि मौजूदा आर्मी चीफ असीम मुनीर भी इसी रास्ते पर चलने की तैयारी में हैं। फर्क बस इतना है कि इस बार यह सत्ता परिवर्तन किसी खुले तख्तापलट की जगह ‘सॉफ्ट कूप’ यानी धीरे-धीरे सत्ता का नियंत्रण अपने हाथ में लेने जैसा है। आज तक पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री  अपना  5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका ।  अब सेना एक बार फिर सत्ता में  बिना तख्तापलट के  लेकिन संगठित रणनीति के ज़रिए अपनी पकड़ मज़बूत करने की ओर बढ़ रही है।
 
 

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