ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले चीनी विदेश मंत्री से मिले भारतीय राजदूत

Edited By Updated: 23 Jun, 2022 06:59 PM

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बीजिंग, 23 जून (भाषा) चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मेजबानी में बृहस्पतिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुरू हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान...

बीजिंग, 23 जून (भाषा) चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मेजबानी में बृहस्पतिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुरू हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एशिया और दुनिया के लिए भारत-चीन संबंधों के महत्व को लेकर दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच आम सहमति के मायनों का एहसास कराने के लिए ‘‘सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने की अहमियत’’ पर जोर दिया।

बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास की ओर से बृहस्पतिवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि रावत ने बुधवार को वांग के साथ एक ‘‘शिष्टाचार भेंट’’ की।

मार्च में चीन में भारत के नए राजदूत के रूप में पदभार संभालने के बाद रावत की वांग के साथ यह पहली मुलाकात थी।

विज्ञप्ति के मुताबिक, वांग और रावत ने पारस्परिक हितों से जुड़े विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

वांग चीन के स्टेट काउंसिलर भी हैं, जिसे सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) में एक उच्चस्तरीय पद माना जाता है।

विज्ञप्ति में कहा गया, “रावत के साथ बातचीत में वांग ने कहा कि एशिया और दुनिया के लिए द्विपक्षीय संबंधों के महत्व पर दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व में आम सहमति है।” इसमें कहा गया, “राजदूत ने सहमति जताई और इस आम सहमति की पूरी क्षमता को साकार करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने की अहमियत पर जोर दिया।” विज्ञप्ति में कहा गया, “वांग ने माना कि सीमा मुद्दा महत्वपूर्ण है और हमें परामर्श व समन्वय के जरिये इसका शांतिपूर्ण ढंग से समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।” बुधवार को रावत और वांग के बीच हुई मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 14वें ब्रिक्स शिखर सम्मलेन से पहले हुई। इसके अलावा दोनों की मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दो साल पहले लद्दाख में शुरू हुए सैन्य गतिरोध के चलते द्विपक्षीय संबंधों में आई खटास के बीच हुई है।

सैन्य स्तर की वार्ता के परिणामस्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी इलाके और गोगरा क्षेत्र से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी। भारत लगातार यह कहता आ रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों में समग्र प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।

रावत के साथ बातचीत के दौरान वांग ने इस साल मार्च में नयी दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर से हुई मुलाकात को याद किया।

विज्ञप्ति के मुताबिक, वांग ने कहा कि चीनी पक्ष भारतीय छात्रों की वापसी के संबंध में भारतीय पक्ष की चिंताओं को महत्व देता है और उन्हें इस मुद्दे पर जल्द प्रगति होने की उम्मीद है।

इसमें कहा गया कि वांग ने दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा की बहाली पर हुई चर्चा का भी जिक्र किया।

विज्ञप्ति के अनुसार, “रावत ने बताया कि भारत में संबंधित एजेंसियों को मामले की जानकारी है और हम जल्द ही इस दिशा में प्रगति होती देख सकते हैं।” इसमें कहा गया कि इस बात पर सहमति थी कि दोनों पक्षों को दोनों विदेश मंत्रियों के बीच विचारों का आदान-प्रदान जारी रखने के लिए बहुपक्षीय बैठकों से मिले अवसरों का पूरा उपयोग करना चाहिए।

इससे पहले, मुलाकात को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में वांग के हवाले से कहा गया, “चीन और भारत के साझा हित उनके मतभेदों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। दोनों पक्षों को एक-दूसरे को कमजोर करने के बजाय एक-दूसरे का समर्थन करना चाहिए, एक-दूसरे के खिलाफ रक्षा क्षमता के बजाय आपसी सहयोग को मजबूत करना चाहिए और एक-दूसरे पर संदेह करने के बजाय आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए।” बयान के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्री ने कहा, “दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द स्थिर करने और पटरी पर लाने के लिए एक-दूसरे से संवाद करना चाहिए। साथ ही संयुक्त रूप से विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना चाहिए और चीन व भारत तथा विभिन्न विकासशील देशों के सामान्य हितों की रक्षा करनी चाहिए।” बीजिंग इस साल ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के पांच सदस्यीय समूह ‘ब्रिक्स’ के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है।

बुधवार को मोदी और चिनफिंग ने ब्रिक्स देशों के अन्य प्रमुखों के साथ ब्रिक्स व्यापार मंच को संबोधित किया था।

वांग ने मार्च में भारत का दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ वार्ता की थी।



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