Edited By Radhika,Updated: 25 Dec, 2025 01:12 PM

बांग्लादेश की राजनीति में आज एक नए युग का आगाज हो गया है। 25 दिसंबर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बड़े बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के बाद लंदन से स्वदेश लौट आए हैं। ढाका के हजरत...
इंटरनेशनल डेस्क: बांग्लादेश की राजनीति में आज एक नए युग का आगाज हो गया है। 25 दिसंबर 2025 को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बड़े बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के बाद लंदन से स्वदेश लौट आए हैं। ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके स्वागत में जनसैलाब उमड़ पड़ा। 'क्राउन प्रिंस' के नाम से मशहूर 60 वर्षीय तारिक की यह वापसी ऐसे समय में हुई है, जब देश 12 फरवरी 2026 को होने वाले आम चुनावों की दहलीज पर खड़ा है।

अपनी धरती पर पहुंचे भावुक हुए तारिक
लंदन से विमान के जरिए ढाका पहुंचे तारिक रहमान ने एयरपोर्ट पर उतरते ही सबसे पहले बांग्लादेश की मिट्टी को छुआ और भावुक नजर आए। उनके साथ उनकी पत्नी जुबैदा रहमान और बेटी जैमा रहमान भी मौजूद थीं। एयरपोर्ट से लेकर उनके गुलशन स्थित आवास तक के रास्ते को 50 लाख से अधिक समर्थकों ने पाट दिया है। यह न केवल एक नेता की वापसी है, बल्कि बीएनपी के लिए एक बड़े शक्ति प्रदर्शन का मौका भी है।

'बैटल ऑफ बेगम्स' और 17 साल का वनवास
तारिक रहमान का इतिहास बांग्लादेश के उतार-चढ़ाव भरे राजनीतिक सफर का गवाह रहा है। उनके पिता जियाउर रहमान देश के राष्ट्रपति रहे, जिनकी 1981 में हत्या कर दी गई थी। उनकी मां खालिदा जिया तीन बार प्रधानमंत्री रहीं। 2007 में सैन्य समर्थित सरकार के दौरान गिरफ्तारी और कथित प्रताड़ना के बाद, वे 2008 में इलाज के बहाने लंदन चले गए थे। शेख हसीना की सरकार के दौरान उन पर भ्रष्टाचार और हत्या की साजिश (2004 ग्रेनेड हमला) जैसे कई गंभीर आरोप लगे और सजा सुनाई गई। अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के बाद हसीना सरकार के पतन और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के आने के बाद, तारिक के खिलाफ अधिकांश कानूनी बाधाएं दूर कर दी गई हैं।
भारत के लिए क्या हैं इसके मायने?
तारिक रहमान की वापसी नई दिल्ली के लिए एक कूटनीतिक चुनौती और अवसर दोनों है। शेख हसीना के कार्यकाल में भारत-बांग्लादेश संबंध स्वर्णिम दौर में थे। तारिक को ऐतिहासिक रूप से 'भारत विरोधी' रुख के लिए जाना जाता रहा है। बीएनपी का झुकाव अक्सर कट्टरपंथी संगठनों की ओर रहा है, जो भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं पैदा कर सकता है। हालिया बयानों में तारिक ने संतुलित रुख अपनाते हुए कहा है कि वे भारत के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं, लेकिन 'देश के हित पहले' रहेंगे। तीस्ता जल बंटवारे और सीमा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर उनकी भावी नीति पर भारत की पैनी नजर है।