बड़ी कामयाबी: अब Corona का होगा The End? वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाली असरदार दवा, ICMR ने बताई चौंकाने वाली सच्चाई

Edited By Updated: 29 Jul, 2025 02:24 PM

a new medicine has come to defeat corona a big success for scientists

जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से उबर चुकी है वहीं इससे जुड़े शोध अभी भी जारी हैं। एक ताज़ा स्टडी में दावा किया गया है कि एक खास तरह की दवा SB431542 जोकि TGF-beta सिग्नलिंग को ब्लॉक करती है वह कोरोना से होने वाली गंभीर फेफड़ों की सूजन को...

नेशनल डेस्क। जहां पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से उबर चुकी है वहीं इससे जुड़े शोध अभी भी जारी हैं। एक ताज़ा स्टडी में दावा किया गया है कि एक खास तरह की दवा SB431542 जोकि TGF-beta सिग्नलिंग को ब्लॉक करती है वह कोरोना से होने वाली गंभीर फेफड़ों की सूजन को प्रभावी ढंग से रोक सकती है। इस शोध को ICMR के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है।

क्या है SB431542 और कैसे काम करती है?

SB431542 एक TGF-β inhibitor है। इसका मतलब है कि यह दवा शरीर में Transforming Growth Factor-beta नामक एक सिग्नलिंग रास्ते को ब्लॉक करती है। यही TGF-beta वायरस के संक्रमण के बाद सूजन और फाइब्रोसिस को बढ़ाता है जिससे फेफड़ों के टिशू में गंभीर क्षति होती है। जब इस दवा से इसका रास्ता रोका गया तो फेफड़ों की सूजन कम हुई और वायरस का असर हल्का पड़ा।

शोध के प्रमुख लेखक और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि SB431542 दवा शरीर में टीजीएफ-बेटा सिग्नलिंग पाथवे को ब्लॉक कर देती है। जब वायरस संक्रमित कोशिकाओं को कंट्रोल से बाहर करता है तो यही सिग्नलिंग शरीर में सूजन और नुकसान फैलाती है। SB431542 इस प्रक्रिया को रोक देती है।

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स्टडी में क्या निकला सामने?

ICMR के शोधकर्ताओं ने यह स्टडी लैब में बनाए गए ह्यूमन एल्वियोलर एपिथेलियल सेल्स (फेफड़ों की सतही कोशिकाओं) पर की। जब इन कोशिकाओं को कोरोना वायरस से संक्रमित किया गया और साथ में SB431542 दी गई तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए:

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➤ वायरल रेप्लिकेशन (वायरस का बढ़ना) कम हुआ।

➤ फाइब्रोसिस के संकेत भी घटे।

➤ इसका सीधा मतलब है कि यह दवा सिर्फ वायरस को काबू में ही नहीं करती बल्कि संक्रमण के बाद होने वाली लंबी बीमारी या पोस्ट-कोविड फाइब्रोसिस को भी कम कर सकती है।

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कोविड के बाद की बीमारी में उम्मीद की किरण

कई मरीजों को कोविड से ठीक होने के बाद भी सांस लेने में दिक्कत, सीने में भारीपन और कमजोरी जैसी शिकायतें होती हैं। इसकी एक बड़ी वजह फेफड़ों की अंदरूनी सूजन और फाइब्रोसिस है। रिसर्चर्स का मानना है कि SB431542 इन लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकती है जिससे लाखों कोविड-पश्चात मरीजों को राहत मिल सकती है।

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अभी ह्यूमन ट्रायल बाकी, एक्सपर्ट्स ने जताई उम्मीद

यह स्टडी अभी प्रारंभिक स्तर पर है। इसका मतलब है कि यह दवा अभी तक मानव ट्रायल में नहीं पहुंची है और इसे खुद लेना या प्रिस्क्राइब करना फिलहाल सुरक्षित नहीं माना जा सकता। हालांकि यह रिसर्च एक नए टारगेट पर आधारित है जिससे भविष्य में एंटी-फाइब्रोटिक थेरेपी के नए रास्ते खुल सकते हैं।

साइंस कम्युनिटी में इस स्टडी को एक उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह दवा कोविड के बाद की जटिलताओं को कम करने में कारगर साबित हुई तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में एक गेमचेंजर साबित हो सकती है जो सिर्फ कोविड ही नहीं बल्कि अन्य वायरल बीमारियों में भी फायदा पहुंचा सकती है।

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