ट्रंप सरकार का एक और बड़ा झटका! भारत की 1.6 अरब डॉलर की इस इंडस्ट्री को हो सकता है नुकसान

Edited By Updated: 30 Aug, 2025 02:54 PM

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ट्रंप सरकार ने एक नई जांच शुरू की है, जो भारत समेत कई देशों के लिए चिंता का कारण बन गई है। इस जांच से न सिर्फ दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते और भी ज्यादा बिगड़ सकते हैं, बल्कि करीब 1.6 अरब डॉलर की सोलर एनर्जी इंडस्ट्री को भी नुकसान पहुंच सकता...

नेशनल डेस्क : ट्रंप सरकार ने एक नई जांच शुरू की है, जो भारत समेत कई देशों के लिए चिंता का कारण बन गई है। इस जांच से न सिर्फ दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते और भी ज्यादा बिगड़ सकते हैं, बल्कि करीब 1.6 अरब डॉलर की सोलर एनर्जी इंडस्ट्री को भी नुकसान पहुंच सकता है।

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अमेरिका क्यों कर रहा है ये जांच?

अमेरिका इस समय भारत, लाओस और इंडोनेशिया से बड़ी मात्रा में सोलर पैनल आयात करता है। अब अमेरिकी इंटरनेशनल ट्रेड कमेटी (ITC) ने जांच शुरू की है कि कहीं चीन से जुड़ी कंपनियां टैरिफ से बचने के लिए इन देशों का इस्तेमाल तो नहीं कर रही हैं। आशंका है कि चीन की कंपनियां भारत और बाकी देशों के जरिए अपने उत्पाद अमेरिका भेज रही हैं, ताकि सीधे टैरिफ से बचा जा सके।

भारत पर क्यों पड़ेगा ज्यादा असर?

अमेरिका ने भारत से आने वाले सोलर पैनल पर पहले ही 50% तक टैरिफ लगा रखा है। ऐसे में अगर नई जांच के बाद और टैरिफ लगाए जाते हैं, तो इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा। इससे भारत और अमेरिका के बीच पहले से ही तनावपूर्ण व्यापारिक रिश्ते और खराब हो सकते हैं।

अरबों डॉलर के निवेश को हो सकता है खतरा

ITC का कहना है कि भारत समेत अन्य देशों से आने वाले सस्ते आयात की वजह से अमेरिकी घरेलू उत्पादन घट रहा है। इससे क्लीन एनर्जी सेक्टर में अरबों डॉलर का निवेश प्रभावित हो सकता है और अमेरिकी नौकरियों पर भी खतरा बढ़ेगा।

कंपनियों ने क्या कहा?

'Alliance for American Solar Manufacturing and Trade' के वकील टिम ब्राइटबिल का कहना है कि ITC का यह कदम सही है और यह साबित करता है कि चीन से जुड़ी कंपनियां अनुचित तरीकों से बाजार पर कब्जा कर रही हैं। इससे अमेरिका में रोजगार और निवेश पर सीधा असर पड़ रहा है।

आंकड़े क्या कहते हैं?

  • साल 2022 में भारत, लाओस और इंडोनेशिया से अमेरिका को 28.9 करोड़ डॉलर का आयात हुआ था।
  • वहीं 2023 में यह आयात बढ़कर 1.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
  • माना जा रहा है कि इसका बड़ा हिस्सा उन चीनी कंपनियों से जुड़ा है, जो पहले से ही अमेरिकी टैरिफ का सामना कर रही हैं।

भारत को सीधा खतरा

याचिका में दावा किया गया है कि भारत और अन्य देशों से काम करने वाली कंपनियां सरकारी सब्सिडी का फायदा उठाकर, उत्पादन लागत से कम दाम पर उत्पाद बेचती हैं। यह अमेरिकी व्यापार कानून का उल्लंघन है। अगर यह साबित होता है, तो भारत के लिए यह एक और बड़ा झटका होगा।

कब आएगा फैसला?

  • अमेरिकी वाणिज्य विभाग इस मामले में अपनी समानांतर जांच भी कर रहा है।
  • 10 अक्टूबर तक सब्सिडी रोधी टैरिफ पर शुरुआती फैसला आ सकता है।
  • जबकि अंतिम निर्णय 24 दिसंबर 2025 तक आने की संभावना है।

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