Edited By Tanuja,Updated: 23 Jul, 2022 03:08 PM
चीन के कारण पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों में बड़ा बदलाव आया है। बीजिंग की आक्रामक नीतियों के चलते...
इंटरनेशनल डेस्कः चीन के कारण पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों में बड़ा बदलाव आया है। बीजिंग की आक्रामक नीतियों नो कैनबरा और नई दिल्ली को एक मजबूत और व्यापक रणनीतिक साझेदारी बनाने में मदद की है, जिसमें उनकी क्वाड साझेदारी और मालाबार नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया की भागीदारी के अलावा एक द्विपक्षीय व्यापार समझौता है। ये संबंध और मजबूत होने की संभावना है, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधान मंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने हाल ही में नई दिल्ली की एक सफल यात्रा पूरी की।
मीडिया विज्ञप्ति में मार्लेस ने कहा कि दोनों देश "व्यापक रणनीतिक साझेदार" हैं और वह "भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने द्विपक्षीय व्यापक रणनीतिक साझेदारी के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में ऑस्ट्रेलिया-भारत रक्षा संबंधों को बढ़ाने में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की भूमिका की सराहना की। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर टिप्पणी करते हुए, मार्लेस ने कहा कि "नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, जिसने दशकों से इंडो-पैसिफिक में शांति और समृद्धि लाई है, दबाव का सामना कर रहा है ।
ऑस्ट्रेलिया के उप-प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘चीन सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी उसका सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है वह सिर्फ हमारे लिए ही नहीं, बल्कि भारत के लिए भी सबसे बड़ी सुरक्षा चिंता है।’’ मार्लेस ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया न केवल आर्थिक क्षेत्र, बल्कि रक्षा क्षेत्र में भी द्विपक्षीय संबंधों को लेकर करीबी स्तर पर काम कर रहे हैं, ताकि देशों देशों की रक्षा एवं सुरक्षा स्थिति को मजबूत बनाया जा सके।
मार्लेस की यात्रा इंडो-पैसिफिक के लिए ऑस्ट्रेलिया की रणनीतिक गणना में भारत के महत्व और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक प्रमुख सुरक्षा भागीदार के रूप में भारत के संभावित स्थान का एक महत्वपूर्ण संकेत है। मंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा भारत को भारत-प्रशांत और उससे आगे ऑस्ट्रेलिया के दृष्टिकोण के केंद्र में रखने के लिए अल्बानी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।"