Edited By Tanuja,Updated: 31 Aug, 2025 09:10 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का मुद्दा छाया रहा। इस दौरान चीन के प्रतिष्ठित थिंक टैंक ..
International Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का मुद्दा छाया रहा। इस दौरान चीन के प्रतिष्ठित थिंक टैंक ताईहे इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो एइनार टैंगन ने साफ कहा कि ट्रंप ने 180 देशों पर टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत जैसे देश को कमतर आंकना अमेरिका की भारी भूल है।
टैंगन के मुताबिक
- ट्रंप भारत को मजबूर करना चाहते थे और उन्होंने 50% टैरिफ लगाकर दबाव बनाया।
- लेकिन भारत की ताकत उसके विशाल बाजार और श्रमशक्ति में है, जिसे नज़रअंदाज़ करना नामुमकिन है।
- यही कारण है कि मोदी के नेतृत्व ने अमेरिका की रातों की नींद उड़ा दी है।
भारत-चीन मुलाकात का बड़ा संदेश
टैंगन ने कहा कि मोदी और शी की बैठक सिर्फ दो देशों की दोस्ती तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह उन तमाम देशों के लिए भी संकेत थी जो ट्रंप के टैरिफ की मार झेल रहे हैं। ट्रंप ने अब तक 180 देशों पर टैरिफ थोपे हैं। भारत इस स्थिति को अवसर में बदल सकता है और एससीओ व ब्रिक्स में संतुलनकारी शक्ति बनकर उभर सकता है। यही अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता है कि भारत गुटनिरपेक्ष नेतृत्व संभालकर वॉशिंगटन के "औपनिवेशिक खेलों" को नाकाम कर दे।
टैंगन के शब्दों में- “यह मोदी के लिए खड़े होने और वैश्विक नेतृत्व की बागडोर संभालने का मौका है। यही डर वॉशिंगटन को रातभर जगाए रखता है।” रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका का यह टैरिफ कदम सिर्फ व्यापारिक नहीं था। असल वजह रूस से तेल आयात बंद करने से भारत का इनकार और पाकिस्तान विवाद में ट्रंप की "शांति दूत" भूमिका को ठुकराना भी रही।