Edited By Anu Malhotra,Updated: 27 Jun, 2025 11:40 AM

देशभर में जन्म प्रमाण पत्र को लेकर एक बड़ा बदलाव किया गया है। अब नवजात शिशु के माता-पिता को उसके जन्म के बाद प्रमाण पत्र के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि अस्पताल से डिस्चार्ज से पहले ही नवजात का...
नेशनल डेस्क: देशभर में जन्म प्रमाण पत्र को लेकर एक बड़ा बदलाव किया गया है। अब नवजात शिशु के माता-पिता को उसके जन्म के बाद प्रमाण पत्र के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि अस्पताल से डिस्चार्ज से पहले ही नवजात का बर्थ सर्टिफिकेट परिवार को उपलब्ध कराया जाए। यह कदम नागरिकों की सुविधा बढ़ाने और सरकारी प्रक्रियाओं को सरल व पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
डिस्चार्ज से पहले मिलेगा बर्थ सर्टिफिकेट
भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) कार्यालय द्वारा जारी आदेश में साफ कहा गया है कि देश के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसका पंजीकरण किया जाए और छुट्टी से पहले ही परिवार को उसका जन्म प्रमाण पत्र सौंप दिया जाए। इस आदेश को खासतौर पर उन अस्पतालों पर फोकस करते हुए लागू किया गया है, जो संस्थागत जन्मों का 50% से ज्यादा हिस्सा संभालते हैं।
सात दिन के अंदर अनिवार्य पंजीकरण
नवजात के जन्म का पंजीकरण जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (RBD) 1969 के तहत किया जाता है। साल 2023 में इस अधिनियम में बदलाव कर इसे और प्रभावी बनाया गया है। अब यह अनिवार्य कर दिया गया है कि जन्म की घटना को केंद्र सरकार के पोर्टल पर सात दिनों के भीतर पंजीकृत किया जाए और उसी दौरान प्रमाण पत्र जारी भी कर दिया जाए। बर्थ सर्टिफिकेट को डिजिटल या फिजिकल फॉर्मेट में उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई है।
क्यों बढ़ गई है बर्थ सर्टिफिकेट की अहमियत?
आज के समय में जन्म प्रमाण पत्र सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि नागरिक की पहचान और उसके अधिकारों का आधार बन गया है। यह सरकारी नौकरी, स्कूल/कॉलेज एडमिशन, पासपोर्ट, शादी रजिस्ट्रेशन जैसी तमाम प्रक्रियाओं में एक अनिवार्य दस्तावेज बन चुका है। 1 अक्टूबर 2023 से लागू नए नियम के अनुसार, यह प्रमाण पत्र अब मूल जन्म तिथि का एकमात्र प्रमाण माना जाएगा।
केंद्रीकृत डेटा सिस्टम से जोड़ा गया
2023 के संशोधन के बाद, राज्यों को अपने रिकॉर्ड अब केंद्र सरकार के पोर्टल पर अपलोड करने होते हैं। इससे नागरिकों के डेटा को एकीकृत करने में मदद मिलती है। इन आंकड़ों का इस्तेमाल अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR), राशन कार्ड, मतदाता सूची, और संपत्ति पंजीकरण जैसी विभिन्न योजनाओं के अपडेट में किया जाता है।
मार्च में भी दी गई थी चेतावनी
मार्च 2025 में भी रजिस्ट्रार जनरल ने सभी अस्पतालों को सख्त हिदायत दी थी कि वे 21 दिनों के भीतर जन्म और मृत्यु से जुड़ी घटनाओं की रिपोर्ट करें। उस समय कुछ अस्पतालों द्वारा कानून का पालन न करने की शिकायतें मिली थीं।