आंध्र प्रदेश की राजधानी केस की सुनवाई से हटे सीजेआई, जानें क्या है पूरा मामला?

Edited By Updated: 01 Nov, 2022 08:04 PM

cji withdraws from hearing of andhra pradesh capital case

प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने आंध्र प्रदेश की राजधानी स्थानांतरित या विभाजित करने के लिए कानून बनाने में राज्य विधानसभा को सक्षम नहीं बताने संबंधी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ वहां की सरकार की अपील पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया

नई दिल्लीः प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने आंध्र प्रदेश की राजधानी स्थानांतरित या विभाजित करने के लिए कानून बनाने में राज्य विधानसभा को सक्षम नहीं बताने संबंधी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ वहां की सरकार की अपील पर सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया।

शीर्ष न्यायालय में राज्य सरकार की याचिका सुनवाई के लिए आने पर, प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ को बताया गया कि न्यायमूर्ति ललित ने अधिवक्ता रहने के दौरान आंध्र प्रदेश के विभाजन से जुड़े मुद्दे पर कानूनी राय दी थी। सीजेआई ने कहा, ‘‘विषय को ऐसी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए जिसका मैं सदस्य नहीं हूं।'' अब विषय को उपयुक्त पीठ को आवंटित करने के लिए सीजेआई की प्रशासनिक क्षमता को लेकर उनके समक्ष रखा जाएगा।

आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस साल तीन मार्च को अपने फैसले में कहा था कि राज्य विधानसभा राजधानी के स्थानांतरण या विभाजन के लिए कानून नहीं बना सकती है। इस तरह, राज्य की राजधानी तीन अलग-अलग राजधानियां बनाने की मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की योजना पर विराम लग गया। हाईकोर्ट का फैसला अमरावती क्षेत्र के पीड़ित किसानों की 63 याचिकाओं के एक समूह पर आया था। ये याचिकाएं विशाखापत्तनम को आंध्र प्रदेश की कार्यपालिका राजधानी, कुर्नूल को न्यायिक राजधानी और अमरावती को विधायी राजधानी बनाने के जगन शासन के फैसले के खिलाफ दायर की गई थीं।

 

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