SC में जजों की नियुक्तिः कॉलेजियम ने CJI के प्रस्ताव पर आपत्ति जताने वाले जजों के नाम बताए, जानें पूरा मामला

Edited By Updated: 10 Oct, 2022 08:10 PM

collegium names the judges who objected to the cji s proposal

एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में, उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने पैनल के उन दो जजों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं, जिन्होंने न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर अपने सदस्यों के विचारों को जानने के लिए अपनाए गए

नई दिल्लीः एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में, उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने पैनल के उन दो जजों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं, जिन्होंने न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति पर अपने सदस्यों के विचारों को जानने के लिए अपनाए गए “सर्कुलेशन” (पदोन्नति के लिये विचाराधीन न्यायाधीशों के फैसले कॉलेजियम के सदस्यों को वितरित करके उनकी राय जानने) के तरीके पर आपत्ति जताई थी।

सोमवार को सार्वजनिक हुए नौ अक्टूबर को जारी एक बयान में, कॉलेजियम ने कहा कि न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नजीर ने "सर्कुलेशन" के तरीके पर आपत्ति जताई थी। इसका इस्तेमाल कार्यवाही में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने में असमर्थ सदस्यों के विचार जानने के लिये पहली बार किया गया। कॉलेजियम ने कहा कि उसकी 30 सितंबर की बैठक ‘बेनतीजा' रही। यह बैठक विवादों में घिर गई थी क्योंकि भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) यूयू ललित द्वारा बढ़ाए गए प्रस्ताव को कॉलेजियम के दो न्यायाधीशों से सहमति मिली, जबकि अन्य दो ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई।

सीजेआई यू यू ललित की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति के एम जोसफ शामिल हैं। कॉलेजियम ने 26 सितंबर को अपनी पहली बैठक से 30 सितंबर 2022 तक के पूरे घटनाक्रम का विवरण दिया है। 26 सितंबर को कॉलेजियम ने 11 न्यायाधीशों के नामों पर विचार के साथ शुरुआत की थी, जबकि 30 सितंबर को यह पूरा विवाद उपजा।

बयान में कहा गया है कि प्रस्तावित नियुक्तियों के संबंध में अनौपचारिक विचार-विमर्श कुछ समय से चल रहा था और 26 सितंबर, 2022 को एक औपचारिक बैठक हुई, जब 11 न्यायाधीशों के नामों पर विचार किया गया। इसमें कहा गया, ‘‘बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता के नाम पर सर्वसम्मति थी, इसलिए इस आशय का एक प्रस्ताव पारित किया गया था और अन्य दस न्यायाधीशों के नामों पर विचार 30 सितंबर 2022 तक के लिए टाल दिया गया था।''

कॉलेजियम की 26 सितंबर, 2022 को हुई बैठक में पहली बार संभावित उम्मीदवारों के फैसलों को उनकी सापेक्ष योग्यता का वस्तुपरक मूल्यांकन करने के लिए सर्कुलेट (वितरित) करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी और न्यायमूर्ति दत्ता के नाम को मंजूरी दे दी गई थी। कुछ सदस्यों द्वारा मांग उठाई गई थी कि "हमारे पास अन्य उम्मीदवारों के अधिक फैसले होने चाहिए। इसलिए बैठक को 30 सितंबर 2022 के लिये स्थगित कर दिया गया तथा उम्मीदवारों के और फैसलों को वितरित किया गया।''

बयान में कहा गया, ‘‘26 सितंबर, 2022 को हुए विचार-विमर्श की निरंतरता में कॉलेजियम की स्थगित बैठक 30 सितंबर, 2022 को शाम साढ़े चार बजे बुलाई गई थी। हालांकि, सदस्यों में से एक (डॉ. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़) चूंकि बैठक में शामिल नहीं हुए, इसलिए सीजेआई ने 30 सितंबर, 2022 को ‘सर्कुलेशन' के माध्यम से एक प्रस्ताव भेजा।''

बयान में कहा गया कि सीजेआई के प्रस्ताव को न्यायमूर्ति कौल और न्यायमूर्ति जोसफ की सहमति क्रमश: एक अक्टूबर व सात अक्टूबर 2022 को लिखे गए पत्र के माध्यम से मिल गई। इसमें कहा गया, ‘‘न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर ने एक अक्टूबर 2022 को अलग-अलग पत्रों द्वारा अन्य बातों के साथ-साथ 30 सितंबर, 2022 के पत्र में अपनाई गई पद्धति पर आपत्ति जताई।'' न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति नजीर के पत्रों ने “इनमें से किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ किसी भी विचार का खुलासा नहीं किया”।

बयान में कहा गया, ‘‘यह प्रधान न्यायाधीश के संज्ञान में लाया गया था और कारणों का अनुरोध किया गया था और/या वैकल्पिक सुझाव दो अक्टूबर, 2022 को सीजेआई द्वारा संबोधित दूसरे पत्र के माध्यम से आमंत्रित किए गए थे। उक्त पत्र का कोई जवाब नहीं आया।'' कॉलेजियम की बैठकें आमतौर पर प्रत्यक्ष रूप से आयोजित की जाती हैं और उम्मीदवारों के नामों पर मतभेद के मामले में, आम सहमति वाली सूची की औपचारिक घोषणा से पहले पैनल उनका समाधान कर देता है।

विषय के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि उम्मीदवारों के नाम और उनके निर्णय आमतौर पर कॉलेजियम के सदस्यों की प्रत्यक्ष रूप से अनुपस्थिति में ‘सर्कुलेट' (प्रसारित) नहीं किए जाते हैं। बयान में कहा गया, ‘‘इस प्रकार, प्रधान न्यायाधीश द्वारा बढ़ाए गए प्रस्ताव में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की सहमति थी। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर ने ‘सर्कुलेशन' द्वारा जजों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी।''

बयान में कहा गया कि इसलिए मामला कॉलेजियम बनाने वाले न्यायाधीशों के बीच बैठकर चर्चा करने के लिए आदर्श रूप से उपयुक्त था। बयान में कहा गया है कि 26 सितंबर को कॉलेजियम की बैठक के साथ शुरू हुई प्रक्रिया जारी थी। इसी बीच, केंद्रीय कानून मंत्री की तरफ से सात अक्टूबर 2022 को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें सीजेआई से अपने उत्तराधिकारी को नामित करने का अनुरोध किया गया था।

पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने एक बयान में कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में आगे कोई कदम उठाने की जरूरत नहीं है और 30 सितंबर, 2022 को बुलाई गई बैठक में अधूरे काम को बिना किसी विचार-विमर्श के बंद कर दिया जाता है। 30 सितंबर, 2022 की बैठक बेनतीजा रही।'' सीजेआई ललित आठ नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

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