Edited By Shubham Anand,Updated: 10 Nov, 2025 04:08 PM

नई रिसर्च में पाया गया है कि बच्चों और किशोरों का अत्यधिक स्क्रीन टाइम उनके दिल और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रहा है। 10 से 18 साल के बच्चों पर अध्ययन में ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और इंसुलिन रेज़िस्टेंस जैसी समस्याएं अधिक देखने को...
नेशनल डेस्क : आज के डिजिटल युग में बच्चों और किशोरों द्वारा स्क्रीन के सामने बिताया जा रहा अत्यधिक समय अब सिर्फ एक व्यवहारिक समस्या नहीं रहा, बल्कि यह उनकी शारीरिक सेहत, विशेषकर हृदय (दिल) और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गया है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के सहयोग से डेनमार्क में हुए एक हालिया अध्ययन ने माता-पिता के लिए एक बड़ा अलर्ट जारी किया है।
स्क्रीन टाइम और स्वास्थ्य जोखिम में सीधा संबंध
रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि 10 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों पर इस डिजिटल आदत का स्पष्ट नकारात्मक असर पड़ रहा है।
बढ़ते जोखिम कारक: अध्ययन के अनुसार, जितना अधिक समय बच्चों ने स्क्रीन पर बिताया, उनमें ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और इंसुलिन रेज़िस्टेंस जैसे प्रमुख कार्डियोमेटाबॉलिक रिस्क फैक्टर्स बढ़ते हुए देखे गए।
सीधा जैविक असर: विशेषज्ञों ने बच्चों के ब्लड सैंपल्स का विश्लेषण किया और पाया कि जिन बच्चों का स्क्रीन टाइम ज़्यादा था, उनके रक्त में मेटाबॉलिक असंतुलन की ओर इशारा करने वाले तत्व मौजूद थे। इसका मतलब है कि यह आदत सिर्फ सुस्ती नहीं ला रही, बल्कि इसका सीधा जैविक (Biological) असर पड़ रहा है।
नींद की कमी से बढ़ता है खतरा
अध्ययन में एक और महत्वपूर्ण पहलू सामने आया है। जिन बच्चों की नींद पूरी नहीं होती, उनमें यह स्वास्थ्य जोखिम और भी कई गुना बढ़ जाता है। रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि देर रात तक मोबाइल या गेमिंग करने और कम नींद लेने से बच्चों के शरीर के अंदर एक 'मेटाबॉलिक फ़िंगरप्रिंट' बन रहा है। यह जैविक निशान भविष्य में हार्ट डिज़ीज़ या डायबिटीज़ जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। स्टडी की लीड ऑथर ने पुष्टि की है कि स्क्रीन टाइम और कार्डियोमेटाबॉलिक रिस्क के बीच सीधा संबंध है। इन नतीजों को माता-पिता के लिए चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
पैरेंट्स के लिए सुझाव:
स्क्रीन टाइम सीमित करें: बच्चों के लिए एक संतुलित स्क्रीन टाइम निर्धारित करना अनिवार्य है।
नींद पर ध्यान दें: यह सुनिश्चित करें कि बच्चे पर्याप्त और गहरी नींद लें।
'नो-स्क्रीन' नियम: विशेषज्ञों का मानना है कि सोने से कम से कम एक घंटे पहले सभी स्क्रीन को बंद कर देना सबसे बेहतर उपाय है, क्योंकि यह समय मस्तिष्क और हृदय दोनों को आराम देता है।
वैकल्पिक गतिविधियों को बढ़ावा दें: बच्चों को परिवारिक गतिविधियों, आउटडोर गेम्स और किताबें पढ़ने जैसी चीज़ों के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि उन्हें स्क्रीन से दूर रखा जा सके।