Edited By Anu Malhotra,Updated: 06 Jun, 2025 11:18 AM

भारतीय डाक विभाग ने डिजिटल इंडिया की दिशा में एक नया और अभिनव कदम उठाया है — डिजिपिन (Digital Postal Index Number)। यह आधुनिक तकनीक पर आधारित प्रणाली हर जगह का एक विशिष्ट डिजिटल पता प्रदान करेगी, जिससे डाक सेवा, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और सरकारी...
नेशनल डेस्क: भारतीय डाक विभाग ने डिजिटल इंडिया के सपने को और मजबूत करने के लिए एक बेहद खास कदम उठाया है। अब भारत के हर कोने को एक अनोखा डिजिटल पहचान नंबर मिलेगा, जिससे डाक सेवा के साथ-साथ ई-कॉमर्स और सरकारी सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। इस नए सिस्टम का नाम है डिजिपिन (Digital Postal Index Number) — एक ऐसा 10-अंकों वाला कोड जो हर 4×4 मीटर के छोटे से इलाके को सटीक तौर पर चिन्हित करेगा।
डिजिपिन क्या है और क्यों है खास?
डिजिपिन एक अत्याधुनिक जियोस्पेशियल तकनीक पर आधारित डिजिटल पता प्रणाली है, जिसे भारतीय डाक विभाग ने IIT हैदराबाद और ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के सहयोग से तैयार किया है। पारंपरिक पिनकोड के मुकाबले डिजिपिन कहीं ज्यादा सटीक और व्यावहारिक है क्योंकि यह पूरे मोहल्ले या इलाके के बजाय हर छोटे-छोटे स्थान को अलग पहचान देता है। इसका मतलब है कि डाक, पार्सल या सेवाएं अब सीधे आपके दरवाजे तक, गलती के बिना पहुँचेंगी।
कैसे मिलेगा डिजिपिन?
अपना डिजिपिन खोजने का तरीका बेहद सरल है:
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सबसे पहले आपको भारतीय डाक विभाग के आधिकारिक पोर्टल https://dac.indiapost.gov.in/mydigipin/home पर जाना होगा।
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वहां अपनी सही लोकेशन का चयन करें।
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यदि आपका डिवाइस GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) से लैस है, तो यह आपके अक्षांश (Latitude) और देशांतर (Longitude) के आधार पर आपके लिए डिजिपिन कोड ऑटोमैटिकली जेनरेट कर देगा।
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इसके अलावा, जल्द ही डिजिपिन को खोजने और उपयोग करने के लिए एक मोबाइल ऐप भी जारी किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया और भी आसान हो जाएगी।
डिजिपिन का प्रभाव
डिजिपिन से न केवल डाक सेवा में सुधार होगा, बल्कि यह ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स, आपदा प्रबंधन, सरकारी योजनाओं और नागरिक सुविधाओं को भी डिजिटल रूप से सशक्त बनाएगा। इससे डिलीवरी में होने वाली देरी और गलतियों में भारी कमी आएगी और प्रशासनिक कामकाज में भी पारदर्शिता बढ़ेगी।
डिजिपिन और पारंपरिक पता प्रणाली में फर्क
जहां पारंपरिक पता प्रणाली शब्दों और इलाके के नाम पर निर्भर करती है, वहीं डिजिपिन सीधे भू-स्थानिक निर्देशांकों (जियोकोड्स) पर आधारित है। यह प्रणाली पूरी तरह से गोपनीय और सुरक्षित है, क्योंकि यह किसी भी व्यक्तिगत जानकारी को साझा नहीं करती, बल्कि सिर्फ स्थान को डिजिटल रूप में दर्शाती है।