Edited By Shubham Anand,Updated: 31 Dec, 2025 06:54 PM

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 31 दिसंबर 2025 को ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से स्वदेशी 'प्रलय' मिसाइल का सफल 'साल्वो' लॉन्च किया। इस परीक्षण में एक ही लॉन्चर से दो मिसाइलें दागकर उनकी सटीकता और मारक क्षमता को परखा गया। सतह से सतह...
नेशनल डेस्क : साल के अंतिम दिन 31 दिसंबर 2025 को भारत ने अपनी रक्षा क्षमता का एक और अद्भुत प्रदर्शन किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट पर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से स्वदेशी विकसित ‘प्रलय’ मिसाइल का सफल साल्वो लॉन्च किया। सुबह लगभग 10:30 बजे किए गए इस परीक्षण में एक ही लॉन्चर से बहुत कम समय के अंतराल पर दो मिसाइलों को प्रक्षेपित किया गया। दोनों मिसाइलों ने निर्धारित मार्ग का पालन किया और मिशन के सभी लक्ष्यों को पूरी तरह प्राप्त किया। यह सफलता ‘प्रलय’ मिसाइल की दुश्मन को एक साथ भारी नुकसान पहुंचाने की क्षमता का जीता-जागता प्रमाण है।
रक्षा मंत्री ने दी डीआरडीओ और सेना को बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस ऐतिहासिक प्रक्षेपण पर डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना, भारतीय सेना, डीपीएसयू तथा उद्योग जगत की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ‘प्रलय’ मिसाइल के सफल प्रक्षेपण ने इसकी विश्वसनीयता स्थापित कर दी है। रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, सुबह 10:30 बजे किया गया उड़ान परीक्षण उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षणों का हिस्सा था। चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज द्वारा तैनात ट्रैकिंग सेंसरों ने पुष्टि की कि दोनों मिसाइलों ने निर्धारित प्रक्षेप पथ का अनुसरण किया और सभी उड़ान लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया। अंतिम घटनाओं की पुष्टि प्रभाव बिंदुओं के निकट तैनात जहाज पर लगे टेलीमेट्री सिस्टम द्वारा की गई।
‘प्रलय’ मिसाइल की तकनीकी विशेषताएं
बताया गया है कि ‘प्रलय’ स्वदेशी विकसित ठोस प्रणोदक अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है। यह अत्याधुनिक मार्गदर्शन और नेविगेशन तकनीक का उपयोग करती है, जो उच्च परिशुद्धता सुनिश्चित करती है। ‘प्रलय’ विभिन्न प्रकार के वारहेड ले जाने में सक्षम है और इसे कई तरह के लक्ष्यों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस मिसाइल को हैदराबाद स्थित इमारत अनुसंधान केंद्र ने अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं जैसे कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला, उन्नत प्रणाली प्रयोगशाला, शस्त्र अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला, रक्षा धातुकर्म अनुसंधान प्रयोगशाला, टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला, अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (इंजीनियर) और एकीकृत परीक्षण रेंज, साथ ही भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और अन्य भारतीय उद्योगों के सहयोग से विकसित किया है।
परीक्षणों में वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, परीक्षणों के लिए दोनों विकास-सह-उत्पादन भागीदारों द्वारा प्रणालियों को एकीकृत किया गया था। इस परीक्षण को डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों, भारतीय वायु सेना एवं भारतीय सेना के उपयोगकर्ता प्रतिनिधियों, विकास-सह-उत्पादन भागीदारों, उद्योग प्रतिनिधियों और रक्षा मंत्रालय की उपस्थिति में देखा गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने भी सफल उड़ान परीक्षणों में शामिल डीआरडीओ टीमों को बधाई दी और कहा कि यह उपलब्धि उपयोगकर्ताओं के लिए सिस्टम के शीघ्र शामिल होने की तैयारी का संकेत है।