Edited By Parveen Kumar,Updated: 15 Nov, 2025 06:26 PM

इजराइल के साथ जून में हुए 12 दिन के युद्ध के बाद ईरान अब किसी भी बड़े टकराव के लिए खुलकर तैयारी करता दिख रहा है। शुक्रवार को पूरे देश में मोबाइल फोन इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम का बड़ा अभ्यास इसी तैयारी की कड़ी था। चुनिंदा मोबाइल यूज़र्स को भेजे गए टेस्ट...
नेशनल डेस्क: इजराइल के साथ जून में हुए 12 दिन के युद्ध के बाद ईरान अब किसी भी बड़े टकराव के लिए खुलकर तैयारी करता दिख रहा है। शुक्रवार को पूरे देश में मोबाइल फोन इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम का बड़ा अभ्यास इसी तैयारी की कड़ी था। चुनिंदा मोबाइल यूज़र्स को भेजे गए टेस्ट मैसेज ने साफ कर दिया कि सरकार आने वाले महीनों में किसी भी अप्रत्याशित स्थिति के लिए जनता को अधिक सतर्क रखना चाहती है।
अचानक टेस्ट क्यों ज़रूरी हुआ?
जून के युद्ध ने ईरान की इमरजेंसी व्यवस्था की कई कमजोरियाँ उजागर कर दी थीं- खासकर समय पर चेतावनी न पहुंच पाने की समस्या। इसी के बाद सिविल डिफेंस एजेंसियों ने पब्लिक अलर्ट सिस्टम को अपग्रेड करने का फैसला किया। अमेरिका द्वारा ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर किए गए हमलों ने भी सरकार को यह भरोसा दिलाया कि आने वाले किसी बड़े संघर्ष में तेज, सटीक और स्वचालित चेतावनी प्रणाली अनिवार्य होगी।
टेस्ट अलर्ट में क्या हुआ?
सुबह 10 से दोपहर 12 बजे के बीच एक सीमित समूह को विशेष संदेश भेजा गया- “यह इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम का परीक्षण संदेश है।” यह संदेश बिना किसी ऐप के सीधे स्क्रीन पर उभरा। कई फ़ोनों में अलार्म टोन और वाइब्रेशन अपने-आप सक्रिय हो गया। सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि टेस्ट के दौरान नागरिकों को किसी कार्रवाई की ज़रूरत नहीं है। अगले चरण में इसका दायरा बढ़ाया जाएगा और अधिक ऑपरेटरों को शामिल कर व्यापक अभ्यास किए जाएंगे। नई ड्रिल्स की तारीखें भी समय रहते जनता को बताई जाएंगी।
बढ़ती सतर्कता और कड़े संकेत
बीते कुछ हफ्तों में ईरान के कई शीर्ष अधिकारियों ने कहा है कि क्षेत्र फिर बड़े संघर्ष की दिशा में बढ़ रहा है। इसके चलते इमरजेंसी योजनाओं की समीक्षा, जनता को निर्देश देने के नए प्रोटोकॉल और राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय की तैयारियाँ तेज़ कर दी गई हैं।
तेहरान में शेल्टर की कमी- सबसे बड़ी चिन्ता
टेस्ट ऐसे समय हुआ है जब राजधानी तेहरान में सार्वजनिक शेल्टरों की कमी को लेकर आलोचना तेज़ है। केवल कुछ विशेष स्थानों पर नए संरक्षित ठिकाने बनाए गए हैं, जबकि अधिकांश लोग किसी खतरे की स्थिति में मेट्रो स्टेशनों, अंडरग्राउंड पार्किंग या घरों के बेसमेंट पर निर्भर होंगे। जून के युद्ध के दौरान जहां नेतृत्व को सुरक्षित ठिकानों में शिफ्ट किया गया था, वहीं आम नागरिकों के लिए उचित शेल्टर न होने पर गंभीर सवाल उठे थे।