Edited By Tanuja,Updated: 23 Oct, 2025 07:34 PM

चीन और भारत की प्रमुख तेल कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil से आयात रोक दिया है। यह कदम रूस की तेल बिक्री और राजस्व पर दबाव डाल सकता है, जबकि वैश्विक ऊर्जा बाजार में अस्थिरता और आपूर्ति संकट की...
Bejing: अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर चीन की प्रमुख सरकारी तेल कंपनियों ने हाल ही में रूस की प्रमुख तेल कंपनियों, Rosneft और Lukoil, पर समुद्री रास्ते से रूसी कच्चे तेल की खरीदारी अस्थायी रूप से रोक दी है। इस निर्णय से वैश्विक ऊर्जा बाजारों में हलचल मच गई है, क्योंकि चीन रूस का सबसे बड़ा तेल आयातक है।
अमेरिका ने रूस की प्रमुख तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर नए प्रतिबंध लगाए हैं, जिसके तहत इन कंपनियों के अमेरिकी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया गया है और अमेरिकी कंपनियों को इनके साथ व्यापार करने से रोका गया है।
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चीन की सरकारी तेल कंपनियों PetroChina, Sinopec, CNOOC और Zhenhua Oil ने इन प्रतिबंधों के मद्देनजर, समुद्री रास्ते से रूसी तेल की खरीदारी अस्थायी रूप से रोक दी है। भारत का रुख: भारत की प्रमुख रिफाइनरी कंपनी, Reliance Industries, ने भी Rosneft से अपने दीर्घकालिक अनुबंध के तहत तेल आयात को रोकने का निर्णय लिया है। चीन और भारत द्वारा रूसी तेल की खरीदारी में कमी आने से, रूस की तेल आयात में गिरावट आ सकती है, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है।यह घटनाक्रम दर्शाता है कि वैश्विक ऊर्जा बाजारों में भू-राजनीतिक घटनाएँ और आर्थिक प्रतिबंधों का गहरा प्रभाव पड़ता है।