पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने नहीं छोड़ा सरकारी बंगला, जानिए क्यों हो रही देरी

Edited By Updated: 06 Jul, 2025 08:01 PM

former cji chandrachud did not leave the government bungalow

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अब तक अपना आधिकारिक आवास खाली नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र से आग्रह किया है कि बंगला खाली कराने की प्रक्रिया...

National Desk : भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अब तक अपना आधिकारिक आवास खाली नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र से आग्रह किया है कि बंगला खाली कराने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए। यह बंगला नई दिल्ली के कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित है, जो मुख्य न्यायाधीश का आधिकारिक निवास होता है। गौरतलब है कि जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने दी सफाई
इस मामले पर पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने सफाई देते हुए कहा कि उन्हें बंगले में रहने के लिए अप्रैल तक की अनुमति वर्तमान वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा दी गई थी। इसके बाद, उन्होंने जून तक के विस्तार के लिए अनुरोध किया, जो उनकी बेटियों के स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरतों के चलते किया गया। चंद्रचूड़ ने कहा, "हमारी बेटियां विशेष जरूरतों वाली हैं और मौजूदा आवास में हमने अपनी बड़ी बेटी के लिए ICU जैसा सेटअप बनाया है। ऐसे में उपयुक्त वैकल्पिक आवास की तलाश करना कठिन है।"

अस्थायी आवास के लिए अनुरोध
पूर्व सीजेआई ने बताया कि उन्होंने सरकार से एक अस्थायी किराए का आवास आवंटित करने का अनुरोध किया है। जो सरकारी आवास उन्हें मिला है, उसमें मरम्मत की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "जैसे ही मरम्मत पूरी होगी, हम अगले दिन ही वहां शिफ्ट हो जाएंगे। हमारी पैकिंग पहले ही पूरी हो चुकी है।"

अन्य जजों को नहीं मिला आवास
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल 33 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिनमें से चार को अब तक सरकारी आवास आवंटित नहीं किया गया है। इनमें से तीन ट्रांजिट अपार्टमेंट में रह रहे हैं, जबकि एक स्टेट गेस्ट हाउस में ठहरे हुए हैं। इस पूरी स्थिति के बीच, न्यायपालिका और सरकार के बीच समन्वय की जरूरत एक बार फिर सामने आई है, ताकि सेवानिवृत्त न्यायाधीशों और मौजूदा न्यायाधीशों के लिए आवास जैसी मूलभूत सुविधाएं सुचारु रूप से उपलब्ध कराई जा सकें।

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