Edited By Mansa Devi,Updated: 26 Dec, 2025 11:59 AM

दिल्ली को अक्सर प्रदूषण के लिए बाहरी कारणों या पड़ोसी राज्यों की पराली जलाने की घटनाओं से जोड़ा जाता है, लेकिन राजधानी की अपनी व्यवस्था भी कम जिम्मेदार नहीं है।
नेशनल डेस्क: दिल्ली को अक्सर प्रदूषण के लिए बाहरी कारणों या पड़ोसी राज्यों की पराली जलाने की घटनाओं से जोड़ा जाता है, लेकिन राजधानी की अपनी व्यवस्था भी कम जिम्मेदार नहीं है। हाल ही में सामने आई तस्वीरों और वीडियो में साफ दिख रहा है कि दिल्ली की कई सरकारी बसें अत्यधिक धुआं छोड़ रही हैं, जिससे वायु गुणवत्ता पर गंभीर असर पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि खराब मेंटेनेंस, समय पर सेवा न होना और पुराने इंजनों का इस्तेमाल दिल्ली की सड़कों पर चल रही इन बसों को ‘चलता-फिरता प्रदूषण केंद्र’ बना रहा है। हैरानी की बात यह है कि प्रदूषण नियंत्रण के सख्त नियम आम नागरिकों और निजी वाहनों पर तो लागू होते हैं, लेकिन सरकारी बसों की नियमित जांच और जवाबदेही पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि रोज़ाना इन बसों से निकलने वाला काला धुआं न सिर्फ हवा को जहरीला बना रहा है, बल्कि बच्चों, बुजुर्गों और दमा के मरीजों के लिए भी गंभीर खतरा बन चुका है। विशेषज्ञों ने मांग की है कि सरकार तुरंत बसों की फिटनेस जांच, इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ाने और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई करे, ताकि राजधानी को प्रदूषण से राहत मिल सके।