Edited By Anu Malhotra,Updated: 23 Dec, 2025 09:06 AM

भारतीय रेलवे अब सिर्फ पटरियों पर नहीं, बल्कि टिकाऊ और स्वच्छ भविष्य की ओर भी तेज़ी से दौड़ रहा है। डीज़ल और इलेक्ट्रिक ट्रेनों के बाद रेलवे ने एक और बड़ा कदम उठा लिया है। देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन अब तैयार हो चुकी है। रेल मंत्री...
नेशनल डेस्क: भारतीय रेलवे अब सिर्फ पटरियों पर नहीं, बल्कि टिकाऊ और स्वच्छ भविष्य की ओर भी तेज़ी से दौड़ रहा है। डीज़ल और इलेक्ट्रिक ट्रेनों के बाद रेलवे ने एक और बड़ा कदम उठा लिया है। देश की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन अब तैयार हो चुकी है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में जानकारी दी कि यह ट्रेन पायलट प्रोजेक्ट के तहत बनकर तैयार हो गई है और आने वाले समय में रेल परिवहन की दिशा ही बदल सकती है।
क्या खास है भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन में?
यह ट्रेन सिर्फ नई तकनीक का उदाहरण नहीं है, बल्कि इसे दुनिया की सबसे लंबी और सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन माना जा रहा है। इसमें कुल 10 कोच लगाए गए हैं। ट्रेन की कुल क्षमता 2400 किलोवाट है, जो इसे बेहद ताकतवर बनाती है।
ट्रेन में दो आधुनिक ड्राइविंग पावर कार हैं, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1200 किलोवाट है। इनके साथ आठ यात्री कोच जोड़े गए हैं। सबसे अहम बात यह है कि यह ट्रेन पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त है। न धुआं, न कार्बन उत्सर्जन—यही वजह है कि इसे ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
हाइड्रोजन कहां से मिलेगी?
हाइड्रोजन ट्रेन को चलाने के लिए जिस ईंधन की जरूरत होगी, उसकी व्यवस्था भी पहले से कर ली गई है। हरियाणा के जींद में एक विशेष हाइड्रोजन प्लांट स्थापित किया गया है। यहां बिजली की मदद से पानी से हाइड्रोजन तैयार की जा रही है। इस प्रक्रिया को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है, जो पर्यावरण के लिए सुरक्षित मानी जाती है।
हाइड्रोजन ट्रेन का ड्राइवर कैसे बन सकते हैं?
कई युवाओं के मन में यह सवाल है कि क्या हाइड्रोजन ट्रेन चलाने के लिए कोई नया या अलग कोर्स करना होगा। इसका जवाब है—नहीं। हाइड्रोजन ट्रेन का लोको पायलट बनने के लिए वही प्रक्रिया लागू होगी, जो मौजूदा ट्रेनों के लिए है। सबसे पहले उम्मीदवार को भारतीय रेलवे में लोको पायलट बनना होगा। उसके बाद हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
लोको पायलट बनने की शैक्षणिक योग्यता
लोको पायलट बनने के लिए उम्मीदवार के पास इनमें से कोई एक योग्यता होना जरूरी है:
क्या मिलेगी अलग ट्रेनिंग?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब हाइड्रोजन ट्रेनें नियमित रूप से चलेंगी, तब लोको पायलटों को विशेष तकनीकी और सुरक्षा से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि नई तकनीक को सुरक्षित और कुशल तरीके से संभाला जा सके।
लोको पायलट की सैलरी कितनी होती है?
भारतीय रेलवे में लोको पायलट की शुरुआती सैलरी आमतौर पर 30,000 से 40,000 रुपये प्रति माह होती है। इसमें बेसिक वेतन के साथ कई तरह के भत्ते शामिल रहते हैं। अनुभव बढ़ने और ट्रेन के प्रकार के अनुसार सैलरी में भी इज़ाफा होता है। एक अनुभवी लोको पायलट अपनी ग्रेड और जिम्मेदारी के आधार पर 35,000 से लेकर 1,00,000 रुपये प्रति माह तक कमा सकता है।