Edited By Mansa Devi,Updated: 23 Dec, 2025 10:44 AM

भारत में बच्चों का लगातार बढ़ता स्क्रीन टाइम अब माता-पिता के लिए बड़ी टेंशन का कारण बनता जा रहा है। घर हो या आस-पड़ोस, हर जगह एक ही तस्वीर नजर आती है। बच्चे मैदान में खेलने के बजाय मोबाइल या टैबलेट की स्क्रीन से चिपके हुए हैं।
नेशनल डेस्क: भारत में बच्चों का लगातार बढ़ता स्क्रीन टाइम अब माता-पिता के लिए बड़ी टेंशन का कारण बनता जा रहा है। घर हो या आस-पड़ोस, हर जगह एक ही तस्वीर नजर आती है। बच्चे मैदान में खेलने के बजाय मोबाइल या टैबलेट की स्क्रीन से चिपके हुए हैं। पढ़ाई, मनोरंजन और दोस्तों से बातचीत तक, हर चीज डिजिटल हो चुकी है। खासकर शहरी इलाकों में बच्चों का मोबाइल इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है, जिससे अभिभावकों की चिंता और गहरी हो गई है।
मोबाइल और सोशल मीडिया पर ज्यादा समय
कई माता-पिता का कहना है कि उनके बच्चे घंटों मोबाइल पर सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेम्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल अब बच्चों के लिए सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि रोजमर्रा की आदत बन चुका है। अभिभावकों को डर है कि इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई, सेहत और मानसिक विकास पर पड़ रहा है।
DPDP 2025 के नियम, लेकिन चिंता बरकरार
सरकार ने बच्चों की डिजिटल सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) 2025 के तहत नियम लागू किए हैं। इन नियमों के अनुसार, 18 साल से कम उम्र के बच्चों के डेटा का इस्तेमाल करने से पहले कंपनियों को माता-पिता की सहमति लेनी होगी। साथ ही, बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करना या उनके देखने के आधार पर विज्ञापन भेजना प्रतिबंधित होगा।
हालांकि, माता-पिता मानते हैं कि सिर्फ कानून बनाने से समस्या पूरी तरह हल नहीं होगी, इसके लिए व्यवहारिक और ठोस कदम भी जरूरी हैं।
सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली सच्चाई
हाल ही में भारत के 302 शहरी क्षेत्रों में किए गए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि आधे से ज्यादा बच्चे रोजाना 3 घंटे से अधिक समय मोबाइल पर बिता रहे हैं। करीब 70 प्रतिशत अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चे यूट्यूब, वीडियो स्ट्रीमिंग और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।
व्यवहार में दिख रहा बदलाव
- सर्वे के अनुसार, मोबाइल और सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल का असर बच्चों के व्यवहार पर साफ नजर आ रहा है।
- करीब 61 प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चे जल्दी सब्र खो देते हैं।
- 58 प्रतिशत अभिभावकों ने बच्चों में गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ने की बात कही।
- लगभग 50 प्रतिशत माता-पिता के मुताबिक बच्चे अब ज्यादा जिद्दी, उछल-कूद करने वाले और शरारती हो गए हैं।