प्रकृति पर दिखने लगा लॉकडाउन का असर, गंगा नदी की गुणवत्ता में 40-50 फीसदी सुधार

Edited By Yaspal,Updated: 05 Apr, 2020 07:15 PM

impact of lockdown on nature 40 50 improvement in ganga river quality

कोरोना वायरस महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। फैक्ट्रियां, कारखाने और गाड़ियां बंद है। इसका असर पर्यावरण पर भी देखा जा रहा है। लॉकडाउन के बीच एक अच्छी खबर यह है कि इस वजह से देश में कई नदियों की जल और वायु गुणवत्ता में उद्योग और...

नेशनल डेस्कः कोरोना वायरस महामारी के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। फैक्ट्रियां, कारखाने और गाड़ियां बंद है। इसका असर पर्यावरण पर भी देखा जा रहा है। लॉकडाउन के बीच एक अच्छी खबर यह है कि इस वजह से देश में कई नदियों की जल और वायु गुणवत्ता में उद्योग और गाड़ियों के नहीं चलने से काफी सुधार हुआ है। वाराणसी के आईआईटी-बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ पीके मिश्रा ने रविवार को बताया कि वाराणसी में गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता में 40-50 फीसदी सुधार हुआ है।

वहीं उत्तराखंड के हरिद्वार से भी गंगा नदी की एक वीडियो सामने आया है। हरिद्वार में भी गंगा नदी की जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है क्योंकि कोरोनो वायरस लॉकडाउन के बीच हर की पौड़ी घाट और उद्योग बंद हैं।


देश की राजधानी दिल्ली में कोरोनोवायरस के प्रकोप के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के बीच हवा की गुणवत्ता में भारी सुधार हुआ है। चूंकि सड़क पर न तो कोई वाहन चल रहा है और न ही कल-कारखाने चल रहे हैं, लिहाजा वातावरण में जहरीले धुंए नहीं हैं। इस कारण राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक वर्तमान में 97 पर आ गया है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक 47 पर 'अच्छी' श्रेणी का माना जाता है। 


यमुना नदी का पानी भी होने लगा साफ
वहीं, कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन से यमुना  नदी का पानी धीरे-धीरे साफ होने लगा है। जिससे पर्यावरणविद बेहद उत्साहित है।माथुर चतुर्वेद परिषद् के उपाध्यक्ष राकेश तिवारी ने कहा कि 42 वर्षों के बाद 30 मार्च को ‘यमुना छठ' पर हम यमुना का साफ पानी देख सके। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों, सामाजिक संगठनों और अन्य प्रकृति प्रेमियों ने यमुना के साफ पानी का श्रेय लॉकडाउन (बंद) को दिया है।
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जिला प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अरविंद कुमार ने कहा कि यमुना का पानी सामान्यत: लोगों के नहाने, फूल और माला तथा अन्य पूजा सामग्री फेंके जाने के साथ ही औद्योगिक कचरे से प्रदूषित होता है। इलाहाबाद उच्च न्यायलय में यमुना की सफाई के लिए 1998 में जनहित याचिका दायर करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि नदी को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने वाले औद्योगिक कचरे में कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘‘बंद के कारण चूंकि फैक्टरियां यमुना में कचरा नहीं डाल रही हैं इसलिए नदी का पानी साफ होता जा रहा है।'' भाषा

 

 

 

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