Edited By Shubham Anand,Updated: 29 Dec, 2025 02:02 PM

भारत में बढ़ते साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार 2026 तक CNAP और SIM-बाइंडिंग जैसे नए नियम लागू करने की तैयारी में है। CNAP के तहत कॉल पर कॉलर का सत्यापित नाम दिखाई देगा, जबकि SIM-बाइंडिंग से मैसेजिंग ऐप्स पर फर्जी अकाउंट बंद होंगे। इन कदमों से...
नेशनल डेस्क : देश में तेजी से बढ़ रहे साइबर फ्रॉड के मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार अब ठोस और दीर्घकालिक उपायों की ओर बढ़ रही है। वर्ष 2026 तक लागू होने वाले नए CNAP (Caller Name Presentation) और SIM-बाइंडिंग नियम आम उपभोक्ताओं के कॉल और मैसेजिंग अनुभव में बड़े बदलाव ला सकते हैं। इन प्रस्तावित नियमों का मुख्य उद्देश्य फर्जी कॉल, पहचान छुपाकर की जाने वाली ठगी और विदेश से संचालित स्कैम नेटवर्क पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना है। टेलीकॉम और डिजिटल सेक्टर से जुड़े नियामक संस्थान अब मिलकर सिस्टम स्तर पर सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
साइबर ठगी पर सरकार का सख्त रुख
पिछले कुछ वर्षों में साइबर फ्रॉड भारत के लिए एक गंभीर सामाजिक और आर्थिक चुनौती बन चुका है। फर्जी निवेश योजनाएं, फिशिंग कॉल और बैंक या सरकारी अधिकारी बनकर की जाने वाली ठगी के कारण हजारों लोग अपनी जीवन भर की जमा पूंजी गंवा चुके हैं। कई मामलों में पीड़ितों पर इतना मानसिक दबाव पड़ा कि उन्होंने खतरनाक कदम तक उठा लिए। चिंता की बात यह भी है कि बड़ी संख्या में ये फ्रॉड विदेशों से संचालित किए जाते हैं, जिससे आरोपियों तक पहुंचना और ठगे गए पैसों की रिकवरी बेहद कठिन हो जाती है। इसी को देखते हुए अब RBI, NPCI, TRAI और दूरसंचार विभाग आपसी समन्वय के साथ इस समस्या से निपटने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
CNAP क्या है और कैसे करेगा काम
Caller Name Presentation यानी CNAP का उद्देश्य फोन कॉल पर भरोसे को बढ़ाना है। इस सिस्टम के तहत जब किसी यूजर को कॉल आएगी, तो उसकी स्क्रीन पर कॉल करने वाले व्यक्ति का सत्यापित नाम दिखाई देगा। यह नाम उस KYC विवरण से लिया जाएगा, जो SIM कार्ड खरीदते समय जमा कराया गया था। इससे स्कैमर के लिए खुद को बैंक अधिकारी, सरकारी कर्मचारी या किसी परिचित के रूप में पेश कर लोगों को ठगना मुश्किल हो जाएगा। TRAI पहले ही टेलीकॉम कंपनियों को CNAP के पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने के निर्देश दे चुका है और 2026 की शुरुआत तक इसे डिफॉल्ट सुविधा के रूप में लागू करने की तैयारी चल रही है।
SIM-बाइंडिंग से मैसेजिंग फ्रॉड पर कसेगा शिकंजा
साइबर ठगी का दूसरा बड़ा जरिया मैसेजिंग ऐप्स हैं। अभी तक स्कैमर भारतीय मोबाइल नंबरों से WhatsApp और अन्य प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाकर ठगी करते हैं और बाद में SIM हटाकर गायब हो जाते हैं। नए SIM-बाइंडिंग नियम के तहत जिस मोबाइल नंबर से मैसेजिंग अकाउंट बनाया गया है, उसी फिजिकल SIM का फोन में सक्रिय रहना जरूरी होगा। यदि SIM हटाई गई, बंद हो गई या बदल दी गई, तो संबंधित मैसेजिंग अकाउंट अपने आप निष्क्रिय हो जाएगा। दूरसंचार विभाग ने नवंबर महीने में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को इसके लिए 90 दिन की समयसीमा दी थी और संभावना है कि 2026 तक यह व्यवस्था पूरी तरह लागू कर दी जाएगी।
आम यूजर्स की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर
इन नए नियमों के लागू होने से आम लोगों को कॉल रिसीव करने से पहले ही कॉलर की पहचान को लेकर ज्यादा स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी, जिससे अनजान और संदिग्ध कॉल का डर कम होगा। वहीं, मैसेजिंग ऐप्स पर फर्जी अकाउंट बनाकर स्कैम चलाना भी पहले के मुकाबले काफी मुश्किल हो जाएगा। हालांकि शुरुआत में कुछ यूजर्स को इन तकनीकी बदलावों के अनुरूप खुद को ढालने में समय लग सकता है। कुल मिलाकर सरकार का यह कदम डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने और एक भरोसेमंद टेलीकॉम व कम्युनिकेशन सिस्टम बनाने की दिशा में बड़ा और अहम बदलाव माना जा रहा है।