Edited By Tanuja,Updated: 16 Mar, 2023 01:26 PM

भारत वैश्विक स्तर पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले देश के रूप में उभरा है। मंगलवार...
इंटरनेशनल डेस्कः भारत वैश्विक स्तर पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले देश के रूप में उभरा है। यह बात मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की भारत की अध्यक्षता को लेकर रक्षा मंत्रालय के एकीकृत रक्षा स्टाफ (IDS) द्वारा आयोजित वर्चुअल कार्यशाला में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कही।
इस कार्यशाला में कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, बेलारूस, मंगोलिया, पाकिस्तान और चीन के वक्ताओं के साथ-साथ वर्चुअल मोड में रूस का प्रतिनिधित्व भी शामिल हुआ। जनरल चौहान ने क्षेत्र और उससे आगे भारत के एचएडीआर अभियानों का हवाला देते हुए कहा, 'वसुधैव कुटुम्बकम की सांस्कृतिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए भारत क्षेत्र और उससे परे मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।' उन्होंने सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे अपने राष्ट्रीय संगठनों की क्षमताओं को विकसित करें ताकि वे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जान-माल के नुकसान को कम करने में सक्षम हो सकें।
उन्होंने कहा कि तुर्किये में हाल ही में आए भूकंप के बाद समय पर 'ऑपरेशन दोस्त' का शुभारंभ दुनिया के सभी संभावित कोनों में मदद पहुंचाने की भारत की इच्छाशक्ति का प्रमाण है। सीडीएस ने कहा कि आपदा के असर को कम करने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण जरूरी है और इस उद्देश्य के साथ भारत विभिन्न देशों और बहुपक्षीय संगठनों के साथ बहुपक्षीय अभ्यास कर रहा है, जैसे- बिम्सटेक (BIMSTEC) सदस्यों के लिए पुणे में 2021 में 'पेनेक्स 21' और आसियान (ASEAN) सदस्यों के लिए 2022 में आगरा में 'समन्वय 22' अभ्यास आयोजित किया गया।
जनरल चौहान ने कहा, क्षेत्रीय तंत्र की इंगेजमेंट और तेज प्रतिक्रिया के जरिए बहुपक्षीय साझेदारी को मजबूत कर हमने इस क्षेत्र में पहले उत्तरदाता के रूप में अपनी भूमिका निभाई है। सीडीएस ने आगे कहा कि समर्पित संगठनात्मक ढांचे के साथ सशस्त्र बल अक्सर किसी भी आपदा की स्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले होते हैं।