हो जाएं सावधान! दीपावली पर खुशबूदार Candles जलाने से हो सकती है यह खतरनाक बीमारी, न करें इस्तेमाल

Edited By Updated: 16 Oct, 2025 12:22 PM

is burning scented candles dangerous this diwali aiims doctor reveals

रोशनी, सजावट और खुशबू का त्योहार दिवाली नजदीक है और इसी के साथ बाज़ारों में सेंटेड कैंडल्स (खुशबूदार मोमबत्तियां) की मांग बढ़ गई है लेकिन एक नई चेतावनी के अनुसार जो खुशबू हम अपने घरों को महकाने के लिए इस्तेमाल करते हैं वह हमारी सेहत के लिए बड़ा खतरा...

नेशनल डेस्क। रोशनी, सजावट और खुशबू का त्योहार दिवाली नजदीक है और इसी के साथ बाज़ारों में सेंटेड कैंडल्स (खुशबूदार मोमबत्तियां) की मांग बढ़ गई है लेकिन एक नई चेतावनी के अनुसार जो खुशबू हम अपने घरों को महकाने के लिए इस्तेमाल करते हैं वह हमारी सेहत के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। एक विशेषज्ञ ने लोगों को इन मोमबत्तियों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है खासकर ऐसे समय में जब दिवाली के दौरान भारत में वायु प्रदूषण पहले से ही चरम पर होता है।

डॉक्टर की चेतावनी: सेंटेड कैंडल्स से बचें

एम्स दिल्ली से प्रशिक्षित जनरल फिजिशियन और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका सहरावत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो के माध्यम से लोगों को जागरूक किया है। डॉ. प्रियंका ने स्पष्ट किया है कि दिवाली पर हवा केवल पटाखों से ही नहीं बल्कि घर के अंदर जलाई जाने वाली खुशबूदार मोमबत्तियों से भी खराब होती है। उन्होंने लोगों को सख्त चेतावनी दी है कि वे दिवाली पर किसी को भी सेंटेड कैंडल्स गिफ्ट न करें और न ही खुद उनका उपयोग करें।

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कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले रसायन

डॉ. प्रियंका के अनुसार सेंटेड कैंडल्स में कई हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं जो जलने पर ज़हरीला धुआं छोड़ते हैं। यह मोमबत्तियों का आधार होता है और जलने पर खतरनाक धुआं पैदा करता है। ये दोनों ही अत्यधिक हानिकारक रसायन हैं। जलने पर ये हवा में मिलकर ज़हरीला प्रभाव छोड़ते हैं।

डॉक्टर ने बताया कि ये सुगंधित यौगिक भले ही हमें अच्छे लगें लेकिन ये कैंसर उत्पन्न करने वाले यौगिक (Carcinogenic Compounds) की तरह काम करते हैं। रिसर्च में यह भी सामने आया है कि लंबे समय तक सेंटेड कैंडल्स का इस्तेमाल करने से ब्लैडर कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

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सेहत पर तुरंत दिखने वाले दुष्प्रभाव

सेंटेड कैंडल्स जलाने वाले कई लोगों में सेहत संबंधी तात्कालिक परेशानियां भी देखी गई हैं जो हवा में मौजूद ज़हरीले कणों के कारण बढ़ती हैं। इनमें शामिल हैं:

बार-बार सिर दर्द या चक्कर आना (वर्टिगो)

आंखों में जलन या पानी आना

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सांस लेने में तकलीफ और गले में खराश

नाक बंद रहना और छींक आना

छाती में भारीपन या जकड़न महसूस होना

विशेषज्ञों का कहना है कि पैराफिन वैक्स से बनी सस्ती कैंडल्स सबसे अधिक टॉक्सिक गैसें और धुआं  छोड़ती हैं क्योंकि इनमें निम्न गुणवत्ता वाले वैक्स, डाई और आर्टिफिशियल फ्रेग्रेंस का प्रयोग किया जाता है।

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क्या है सेहतमंद विकल्प?

डॉ. प्रियंका सलाह देती हैं कि लोगों को प्लांट-बेस्ड या नैचुरल वैक्स (जैसे सोया वैक्स या बी वैक्स) से बनी मोमबत्तियों का उपयोग करना चाहिए। अगर लोग सुगंध चाहते हैं तो उन्हें घर पर बनी ऐसी मोमबत्तियां इस्तेमाल करनी चाहिए जिनमें सिंथेटिक सुगंध या रंग न हों। यदि सेंटेड कैंडल्स का इस्तेमाल करना ही है तो यह सुनिश्चित करें कि कमरा अच्छी तरह वेंटिलेटेड हो ताकि ज़हरीले तत्व हवा में जमा न हों।

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