संवैधानिक अधिकार छीनने का हक कहां से मिला? RSS शाखाओं पर बैन लगाने के फैसले पर HC ने लगाई रोक

Edited By Updated: 28 Oct, 2025 02:38 PM

karnataka high court stays ban on rss activities

कर्नाटक सरकार द्वारा आरएसएस की शाखाओं और कार्यक्रमों पर लगाए गए प्रतिबंध को हाई कोर्ट ने अंतरिम रूप से रोक दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने इसे कांग्रेस...

नेशनल डेस्क : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों और शाखाओं पर रोक लगाने संबंधी कर्नाटक सरकार के आदेश पर हाई कोर्ट ने अंतरिम स्टे लगा दिया है। जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार और हुबली पुलिस कमिश्नर के आदेश पर रोक लगाते हुए सवाल उठाया कि सरकार को संवैधानिक अधिकारों पर रोक लगाने का अधिकार कहां से मिला। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) और 19(1)(B) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सभा करने का अधिकार सभी को प्राप्त है, जिसमें सरकार हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

18 अक्टूबर को राज्य सरकार ने आदेश जारी कर कहा था कि बिना अनुमति 10 से अधिक लोगों का इकट्ठा होना अपराध है। साथ ही पार्कों, सड़कों और खेल मैदानों में बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर कार्रवाई की जाएगी। कर्नाटक कैबिनेट ने भी सरकारी स्थानों पर बिना अनुमति इकट्ठा होने को अपराध मानते हुए RSS की शाखाओं और कार्यक्रमों पर रोक लगाने को मंजूरी दी थी।

संवैधानिक अधिकारों पर रोक असंभव: हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि सरकार संवैधानिक अधिकारों में दखल नहीं दे सकती। कोर्ट ने पूछा, "संविधान प्रदत्त अधिकारों को छीनने का अधिकार सरकार को किसने दिया?" इस फैसले से RSS को फिलहाल राहत मिल गई है। मामले की अगली सुनवाई बाद में होगी।

राजनीतिक बयानबाजी तेज
बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने आरोप लगाया कि RSS के खिलाफ ये कदम कांग्रेस नेता प्रियंक खरगे के इशारे पर उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "RSS अपनी गतिविधियां और जुलूस पूरी तरह शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करता है।"

इससे पहले प्रियंक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राज्य में RSS की गतिविधियों पर पूर्ण रोक लगाने की मांग की थी। बीजेपी ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया, जबकि कांग्रेस ने पलटवार करते हुए याद दिलाया कि 2013 में बीजेपी सरकार ने भी यही आदेश जारी किया था, जिसमें स्कूल परिसर और खेल मैदान को केवल शैक्षिक गतिविधियों के लिए आरक्षित रखने की बात कही गई थी।

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