AI से इमोशनली अटैच हो रहे हैं इंसान? जानिए क्यों बढ़ रहा है लोगों का ये 'डिजिटल लगाव'

Edited By Updated: 31 Oct, 2025 04:56 PM

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टेक्नोलॉजी के इस दौर में प्यार और अपनापन भी डिजिटल हो रहा है। फिल्मों में दिखने वाली कहानियां अब हकीकत बनती जा रही हैं। लोग चैटबॉट्स से बातें कर रहे हैं और उनके साथ इमोशनल कनेक्शन महसूस कर रहे हैं। ये चैटबॉट्स न नाराज़ होते हैं, न बहस करते हैं और...

नेशनल डेस्क: टेक्नोलॉजी के इस दौर में प्यार और अपनापन भी डिजिटल हो रहा है। फिल्मों में दिखने वाली कहानियां अब हकीकत बनती जा रही हैं। लोग चैटबॉट्स से बातें कर रहे हैं और उनके साथ इमोशनल कनेक्शन महसूस कर रहे हैं। ये चैटबॉट्स न नाराज़ होते हैं, न बहस करते हैं और हमेशा जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं।

क्या कहते हैं आंकड़े?

हाल ही में अमेरिका में हुई एक स्टडी के अनुसार हर 5 में से 1 हाई स्कूल स्टूडेंट ने कभी न कभी AI के साथ रोमांटिक कनेक्शन महसूस किया है। भारत में भी यह ट्रेंड बढ़ रहा है। 18 से 30 साल की उम्र के 40% भारतीय युवा चैटबॉट्स से इमोशनल कनेक्शन महसूस कर रहे हैं। कुछ तो AI को प्रपोज़ या शादी करने तक की बात कर रहे हैं।

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AI से नज़दीकी के पीछे का सच

कई साइकोलॉजिस्ट का मानना है कि AI पर बढ़ती निर्भरता वास्तव में अकेलेपन की निशानी है। लोग अब असली इंसानों की जगह भरने के लिए AI चैटबॉट्स की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि:

  1. कोई आलोचना नहीं: AI चैटबॉट्स कभी आपसे असहमत नहीं होते और जज नहीं करते। इससे यूज़र्स को हमेशा सकारात्मकता और अपनेपन का एहसास होता है।
  2. हर समय उपलब्धता: AI की 24 घंटे उपलब्धता और हमेशा पॉजिटिव रिएक्शन इंसान के दिमाग के उन हिस्सों को सक्रिय करता है जो गहरे इमोशनल कनेक्शन से जुड़े होते हैं।
  3. Gen Z पर सबसे ज़्यादा असर: एक्सपर्ट्स के अनुसार इंटरनेट के ज़माने में पली-बढ़ी पीढ़ी Gen Z और Millennials सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं। कोविड महामारी के दौरान जब लोग अकेले थे, तब AI उनका सहारा बना और यह जुड़ाव तब से और गहरा होता गया है।

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इंसानी रिश्तों पर ख़तरा

विशेषज्ञों ने इस बढ़ते लगाव को लेकर गंभीर चिंता जताई है:

  • भावनाओं की कमी: जब हम AI से बात करते हैं, तो चेहरे के भाव, बॉडी लैंग्वेज और असली इमोशनल कनेक्शन जैसे महत्वपूर्ण तत्व गायब हो जाते हैं। AI में असली भावनाएं नहीं होती हैं, यह केवल उनकी नकल करता है।
  • सिर्फ मिररिंग: AI वही करता है जो आप सुनना चाहते हैं। इससे यूज़र्स को लगता है कि उन्हें कोई समझ रहा है, जबकि वे अपनी ही सोच का आईना देख रहे होते हैं।
  • सहनशीलता कमज़ोर: लगातार AI से जुड़ने से इंसानों में असहमति और मतभेद को संभालने की क्षमता कमज़ोर हो रही है। लोग असली रिश्तों से भागने लगते हैं, जिससे इमोशनल मज़बूती और सहनशीलता घटती है, और रिश्ते एकतरफा बन जाते हैं।

एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि लोगों को याद रखना चाहिए कि चैटबॉट्स के जवाब सिर्फ प्रोग्राम किए गए एल्गोरिदम का हिस्सा हैं और इंसानी रिश्तों को हमेशा प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

 

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