प्रधानमंत्री से सीखा है कि कब बोलना है और कब नहीं, विपक्ष को भी सीखना चाहिए: रीजीजू

Edited By Updated: 31 Oct, 2025 11:44 PM

learned from prime minister when to speak and when not to speak rijiju

केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि दुनियाभर में हो रही घटनाओं के बीच, कोई भी देख सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किन मुद्दों पर बोलते हैं और कई बार यह भी तय करते हैं कि कब नहीं बोलना है। रीजीजू ने कहा कि कभी-कभी ‘‘चुप रहना भी...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि दुनियाभर में हो रही घटनाओं के बीच, कोई भी देख सकता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किन मुद्दों पर बोलते हैं और कई बार यह भी तय करते हैं कि कब नहीं बोलना है। रीजीजू ने कहा कि कभी-कभी ‘‘चुप रहना भी एक ताकत है'' और आवश्यकता से अधिक बोलना भी नुकसानदायक साबित हो सकता है। रीजीजू ने यहां मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हाल के दिनों में भारत-अमेरिका संबंधों के समक्ष आई चुनौतियों से संबंधित एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की।

रीजीजू ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘कब बोलना है और कब नहीं बोलना है, मैंने प्रधानमंत्री से बहुत कुछ सीखा है, मैं चाहता हूं कि विपक्ष भी सीखे।'' सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भी सेना एवं रक्षा थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज' द्वारा आयोजित ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग: यंग लीडर्स फोरम' में मंच पर उपस्थित थे। इससे पूर्व रीजीजू ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के मौके पर यहां मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित किया। रीजीजू ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि 2047 तक ‘विकसित भारत' बनाने का लक्ष्य केवल ‘‘कल्पना मात्र'' नहीं है, बल्कि यह ‘‘हमारे देश को दुनिया में अग्रणी राष्ट्र बनाने की यात्रा'' है।

मंत्री ने कहा कि उनका मानना ​​है कि सशस्त्र बलों के पराक्रम और सही भावना से संपन्न युवाओं के सहयोग से यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। बाद में, उपस्थित लोगों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को ‘‘परिसंपत्ति'' बनना चाहिए, न कि ‘‘बोझ''। उन्होंने कहा कि वे इसे भारत के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश कहते हैं, लेकिन यदि इसका उचित दिशा में उपयोग नहीं किया गया तो यह एक ‘‘बोझ'' बन सकता है, इसलिए यह एक ‘‘बहुत महत्वपूर्ण अवधि'' है। ‘जनसांख्यिकीय लाभांश' (डेमोग्राफिक डिविडेंड) का अर्थ उस आर्थिक विकास से है जो तब होता है जब किसी देश में काम करने लायक उम्र के लोगों की संख्या, काम करने के लिए बहुत कम उम्र या बहुत बुजुर्ग लोगों की तुलना में ज्यादा होती है।

जनरल द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की 65 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है और लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है। उन्होंने कहा, ‘‘हम युवाओं का देश हैं, असीम ऊर्जा, विचारों, रचनात्मकता और साहस का देश हैं।'' अपने संबोधन के दौरान रीजीजू ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विचार पर भी बात की। उन्होंने कहा, "संविधान सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है... इसलिए, जितनी भी स्वतंत्रता दी जा रही है, उसकी एक सीमा होनी चाहिए। आपको स्वतंत्रता है, देश के लिए कुछ कीजिए। जिस स्थिति में कोई देश के खिलाफ आवाज उठाता है, वहां उसकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगना चाहिए।''

रीजीजू ने कहा कि भारत को 1947 में आजादी मिली और अब तक उसे विकसित देश का दर्जा नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि ऐसा क्या है कि इतने महान मानव संसाधन, महान विरासत और एक महान राष्ट्र होने के बावजूद भारत अभी तक विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल नहीं कर पाया है। प्रधानमंत्री (मोदी) ने सही ही लक्ष्य निर्धारित किया है, क्योंकि लक्ष्य कभी निर्धारित ही नहीं किया गया था।" मंत्री ने कहा, "यात्रा के लिए एक गंतव्य होना चाहिए, एक निर्धारित मार्ग होना चाहिए जिस पर हमें आगे बढ़ना चाहिए।" ‘ऑपरेशन सिंदूर' पर प्रेस वार्ता में प्रमुख चेहरों में से एक कर्नल सोफिया कुरैशी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुईं। अपने संबोधन के दौरान, उन्होंने युवाओं से मुस्तैद रहने, गलत सूचनाओं से बचने के लिए सतर्क रहने का आग्रह किया और अधिक से अधिक जागरूकता लाने की वकालत की। 

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