गृह मंत्रालय ने किया साफ, रोहिंग्या मुसलमानों को फ्लैट मुहैया कराने का कोई निर्देश नहीं दिया गया

Edited By rajesh kumar,Updated: 17 Aug, 2022 04:09 PM

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दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकारी आवासों में शिफ्ट नहीं किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि रोहिंग्या अवैध प्रवासियों को किसी भी ईडब्ल्यूएस फ्लैट में शिफ्ट करने का कोई भी निर्णय गृह मंत्रालय की ओर से नहीं लिया गया है।

नेशनल डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि उसने दिल्ली में रोहिंग्या मुसलमानों को ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) श्रेणी के फ्लैट उपलब्ध कराने का कोई निर्देश नहीं दिया है और अरविंद केजरीवाल सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि अवैध विदेशियों को उनके वर्तमान स्थान पर रखा जाए। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि अवैध विदेशी रोहिंग्याओं को कानून के अनुसार उनके देश वापस भेजने तक निरुद्ध केंद्र में रखा जाना चाहिए और दिल्ली सरकार को उनके ठहरने के वर्तमान स्थल को निरुद्ध केंद्र घोषित करने का निर्देश दिया गया है।

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अवैध विदेशी रोहिंग्याओं के संबंध में मीडिया के कुछ वर्गों में समाचार के संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि गृह मंत्रालय ने नयी दिल्ली के बक्करवाला में रोहिंग्या अवैध प्रवासियों को ईडब्ल्यूएस फ्लैट प्रदान करने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया है।'' उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा रोहिंग्या मुसलमानों को एक नये स्थान पर स्थानांतरित करने के प्रस्तावित कदम पर, गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अवैध विदेशी रोहिंग्याओं को उनके वर्तमान स्थान पर रखा जाए।

क्योंकि उन्हें उनके देश वापस भेजने का मामला विदेश मंत्रालय के माध्यम से संबंधित देश के साथ पहले ही उठाया जा चुका है। प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अवैध विदेशियों को उनके देश वापस भेजने तक कानून के अनुसार निरुद्ध केंद्र में रखा जाना है। दिल्ली सरकार ने वर्तमान स्थान को निरुद्ध केंद्र घोषित नहीं किया है। उसे तुरंत ऐसा करने का निर्देश दिया गया है।'' 

बता दें कि, इससे पहल एएनआई की स्टोरी शेयर करते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया कि भारत वैसे सभी लोगों का स्वागत करता है जो देश में शरणार्थी की मांग करते हैं। पुरी ने लिखा कि जो लोग भारत की रिफ्यूजी पॉलिसी के खिलाफ झूठी अफवाह फैलाने का काम करते हैं और इसे CAA से जोड़ते हैं उन्हें अब निराशा मिलेगी। भारत संयुक्त राष्ट्र के रिफ्यूजी कन्वेंशन 1951 को मानता है और रंग, धर्म और जाति के बिना जिसे भी जरूरत है उसे शरण देता है। 

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