Edited By Radhika,Updated: 18 Jun, 2025 01:42 PM
हाल ही में अहमदाबाद से लंदन जा रहा एअर इंडिया का बोइंग ड्रीमलाइनर प्लेन टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भीषण क्रैश में लगभग 270 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर शामिल थे।
नेशनल डेस्क: हाल ही में अहमदाबाद से लंदन जा रहा एअर इंडिया का बोइंग ड्रीमलाइनर प्लेन टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भीषण क्रैश में लगभग 270 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 241 यात्री और क्रू मेंबर शामिल थे। इस दुखद हादसे में एक चमत्कारिक बचाव देखने को मिला, जब विश्वास रमेश कुमार नाम का एक यात्री ही जीवित बचा। दिलचस्प बात यह है कि यह यात्री प्लेन की 'लकी सीट नंबर 11A' पर बैठा हुआ था।
क्या वाकई 'लकी' है सीट 11A?
यह कोई अकेला ऐसा मामला नहीं है। इससे पहले 1998 में हुए थाई एयरवेज के प्लेन क्रैश में भी सिर्फ एक यात्री जीवित बचा था और वह भी प्लेन की सीट नंबर 11A पर ही बैठा था। उस यात्री की पहचान अभिनेता-गायक रुआंगसाक लोयचुसाक के तौर पर हुई थी। इन घटनाओं के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या 11A नंबर की यह सीट वाकई 'लकी' है?
इसका सीधा जवाब है: नहीं, 11A नंबर की इस सीट पर कोई भी यात्री अपनी मर्जी से नहीं बैठ सकता। इस सीट पर बैठने के लिए आपको कुछ खास शर्तें पूरी करनी होंगी।
क्यों हर कोई नहीं बैठ सकता सीट नंबर 11A पर?
दरअसल, बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर प्लेन में सीट नंबर 11A इकोनॉमी सीट के साथ-साथ एक इमरजेंसी सीट भी है। यह सीट प्लेन के इमरजेंसी एग्जिट गेट के पास होती है और इन पर बैठने वाले यात्रियों को विशेष जिम्मेदारी दी जाती है। इमरजेंसी एग्जिट सीट्स का मुख्य उद्देश्य आपात स्थिति में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अगर किसी कारणवश प्लेन को जल्दी खाली करना पड़े, तो इन सीट्स पर बैठे यात्री क्रू-मेंबर्स की मदद करते हैं।
एयरलाइंस ने इसके लिए कुछ सख्त नियम बनाए हैं, ताकि केवल वही लोग इन सीट्स पर बैठें जो शारीरिक और मानसिक रूप से सक्षम हों, और जरूरत पड़ने पर क्रू-मेंबर्स की मदद कर सकें।
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इमरजेंसी सीट पर बैठने के नियम क्या हैं?
- आयु सीमा: यात्री की उम्र कम से कम 15 साल होनी चाहिए। बच्चों या कम उम्र के किशोरों को इन सीटों पर बैठने की अनुमति नहीं होती, क्योंकि उनमें आपात स्थिति में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता कम हो सकती है।
- शारीरिक फिटनेस: यात्री का शारीरिक रूप से फिट होना जरूरी है। अगर कोई यात्री विकलांग है, गर्भवती है, या उसे चलने-फिरने में दिक्कत है, तो उसे इन सीट्स पर नहीं बैठने दिया जाता। ऐसा इसलिए है क्योंकि इमरजेंसी में भारी दरवाजे खोलने या अन्य यात्रियों की मदद करने की जरूरत पड़ सकती है।
- बुनियादी जानकारी: एयरलाइंस यह भी सुनिश्चित करती हैं कि यात्री को उस प्लेन के इमरजेंसी इक्विपमेंट की बुनियादी जानकारी हो। फ्लाइट अटेंडेंट यात्रियों को प्री-फ्लाइट ब्रीफिंग में बताते हैं कि इमरजेंसी एग्जिट को कैसे ऑपरेट करना है।
- स्वैच्छिक जिम्मेदारी: यदि यात्री को लगता है कि वह यह जिम्मेदारी नहीं निभा सकता, तो वह क्रू मेंबर को बता सकता है, और उसे दूसरी सीट दी जाएगी।
- भाषा की समझ: इमरजेंसी सीट पर बैठने वाले यात्री को क्रू की भाषा, आमतौर पर अंग्रेजी या उस देश की स्थानीय भाषा समझनी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपात स्थिति में क्रू के निर्देशों को समझना और तुरंत अमल करना जरूरी होता है।
- मानसिक स्थिरता: यात्री को मानसिक रूप से स्थिर होना चाहिए। अगर कोई यात्री नशे में है या मानसिक रूप से अस्थिर है, तो उसे इन सीट्स पर बैठने की अनुमति नहीं दी जाती।
कई बार यात्री इमरजेंसी सीट्स को ज्यादा लेगरूम (पैर फैलाने के लिए ज्यादा जगह) के लिए चुनते हैं, क्योंकि ये सीट्स आमतौर पर ज्यादा जगह वाली होती हैं। हालांकि, एयरलाइंस साफ करती हैं कि इन सीट्स पर बैठना कोई सुविधा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है। कुछ एयरलाइंस इसके लिए अतिरिक्त शुल्क भी लेती हैं, लेकिन यह शुल्क केवल उन यात्रियों से लिया जाता है जो नियमों को पूरा करते हों।
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क्या भारत में भी लागू होते हैं ये नियम?
जी हां, इंडिगो, एअर इंडिया और स्पाइसजेट जैसी सभी भारतीय एयरलाइंस भी इन नियमों का सख्ती से पालन करती हैं। DGCAके दिशानिर्देशों के अनुसार, क्रू मेंबर्स को यह सुनिश्चित करना होता है कि इमरजेंसी सीट्स पर बैठा यात्री नियमों के अनुरूप हो। अगर कोई यात्री नियम तोड़ता है या जिम्मेदारी नहीं निभा पाता, तो उसे दूसरी सीट पर शिफ्ट किया जा सकता है।
याद रखें, इमरजेंसी सीट्स की जिम्मेदारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। ये सीट्स सिर्फ आराम के लिए नहीं, बल्कि सभी यात्रियों की सुरक्षा के लिए हैं। इसलिए, अगली बार जब आप फ्लाइट में इमरजेंसी सीट चुनें, तो याद रखें कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी है। अगर आप इसे निभाने के लिए तैयार हैं, तभी इस सीट को चुनें।