प्रयागराज से लेकर वैष्णो देवी तक, ये हैं भारत की सबसे खतरनाक भगदड़

Edited By Updated: 29 Jan, 2025 06:21 PM

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भारत में धार्मिक आयोजनों के दौरान भगदड़ की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हर साल किसी न किसी बड़े मेले, मंदिर या तीर्थस्थल पर भारी भीड़ उमड़ती है और कई बार यह भीड़ बेकाबू होकर भयावह हादसों में बदल जाती है। हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या...

नेशनल डेस्क: भारत में धार्मिक आयोजनों के दौरान भगदड़ की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। हर साल किसी न किसी बड़े मेले, मंदिर या तीर्थस्थल पर भारी भीड़ उमड़ती है और कई बार यह भीड़ बेकाबू होकर भयावह हादसों में बदल जाती है। हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के दौरान भगदड़ मचने से 17 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए। यह पहली बार नहीं है जब महाकुंभ में भगदड़ हुई हो, इससे पहले भी 1954 और 2013 में कुंभ मेले में बड़े हादसे हो चुके हैं।

पिछले 50 साल में हजारों लोगों ने गंवाई जान
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 25 सालों में ही देश में 3,900 से अधिक भगदड़ की घटनाएं हुई हैं, जिनमें 3,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। ये हादसे धार्मिक आयोजनों, राजनैतिक रैलियों और अन्य बड़े आयोजनों में भीड़ के अनियंत्रित होने की वजह से हुए।

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भारत में हुई सबसे बड़ी भगदड़ की घटनाएं
1. 1954 का प्रयागराज कुंभ: अब तक की सबसे भयावह भगदड़
1954 के महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ में करीब 800 लोगों की मौत हो गई थी। उस समय प्रशासनिक व्यवस्थाएं बेहद कमजोर थीं, जिसके चलते यह हादसा हुआ।

2. 1986 का हरिद्वार कुंभ: 200 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत
हरिद्वार में 1986 में लगे कुंभ मेले में भीषण भगदड़ मची थी, जिसमें करीब 200 लोग मारे गए थे। भीड़ को नियंत्रित करने में नाकाम प्रशासन इस हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था।

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3. 2005 का मंधारदेवी मंदिर हादसा: 350 की दर्दनाक मौत
महाराष्ट्र के सतारा जिले के प्रसिद्ध मंधारदेवी मंदिर में 25 जनवरी 2005 को हुई भगदड़ में 350 से अधिक श्रद्धालु मारे गए थे। नारियल फोड़ने के दौरान कुछ लोग फिसलकर गिरे और देखते ही देखते भगदड़ मच गई।

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4. 2008 का नैना देवी मंदिर हादसा: 162 श्रद्धालुओं की मौत
हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में अगस्त 2008 में भगदड़ मची थी, जिसमें 162 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। हादसे की वजह मंदिर में बम होने की झूठी अफवाह बताई गई।

5. 2013 का रतनगढ़ मंदिर हादसा: 115 श्रद्धालुओं की मौत
मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रतनगढ़ देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान 115 लोगों की जान चली गई थी। करीब डेढ़ लाख श्रद्धालु मंदिर पहुंचे थे और जगह की कमी के कारण भगदड़ मच गई।

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6. 2013 का प्रयागराज कुंभ: रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़, 36 की मौत
प्रयागराज में 2013 के कुंभ मेले के दौरान रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी, जिसमें 36 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। यह हादसा प्लेटफॉर्म बदलने की अफवाह के चलते हुआ था।

7. 2024 का हाथरस हादसा: 121 लोगों की दर्दनाक मौत
यूपी के हाथरस में 2 जुलाई 2024 को सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई। मरने वालों में 112 महिलाएं और 7 बच्चे शामिल थे।

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8. 2022 का वैष्णो देवी हादसा: 12 श्रद्धालुओं की मौत
वैष्णो देवी मंदिर में जनवरी 2022 में हुए हादसे में 12 लोग मारे गए थे। भक्तों की संख्या बहुत ज्यादा थी, जिससे संकरे रास्ते में दबने से लोगों की मौत हो गई।

बार-बार क्यों होती हैं भगदड़ की घटनाएं?
* भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त उपाय नहीं किए जाते।
* तीर्थस्थलों और आयोजनों में जगह की कमी होती है।
* अफवाहों से डर फैलता है और भगदड़ मचती है।
* प्रशासनिक अव्यवस्था और आपातकालीन योजनाओं की कमी।
* श्रद्धालुओं में धैर्य की कमी और जल्दबाजी में निकलने की कोशिश।

कैसे रोकी जा सकती हैं भगदड़ की घटनाएं?
* आयोजनों में प्रवेश और निकास को बेहतर ढंग से नियंत्रित किया जाए।
* आपातकालीन निकासी मार्ग और मेडिकल सुविधा को मजबूत किया जाए।
* डिजिटल स्क्रीन और घोषणाओं के माध्यम से भीड़ को गाइड किया जाए।
* प्रशासन को हर स्थिति के लिए आपातकालीन योजना तैयार रखनी चाहिए।
* श्रद्धालुओं को धैर्य रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की जाए।

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