एकता की मिसाल: अगड़े-पिछड़े और दलित दूल्हों की एक साथ निकलेगी शाही बारात, अंतरजातीय विवाह समारोह में बंधेंगे कई जोड़े

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 30 Apr, 2025 09:24 AM

procession of upper caste backward caste and dalit grooms

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अब सामाजिक एकता को मजबूत करने के एक बड़े अभियान में जुट गया है। एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान के संदेश के बाद संघ आज अक्षय तृतीया के मौके पर काशी में एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। अक्षय तृतीया पर आज एक साथ...

नेशनल डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अब सामाजिक एकता को मजबूत करने के एक बड़े अभियान में जुट गया है। एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान के संदेश के बाद संघ आज अक्षय तृतीया के मौके पर काशी में एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। अक्षय तृतीया पर आज एक साथ अगड़े-पिछड़े और दलित दूल्हों की शाही बारात निकलेगी। अंतरजातीय विवाह समारोह में कई जोड़े बंधेंगे। संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में 125 बेटियों का सामूहिक कन्यादान किया जाएगा। इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह है कि पहली बार ब्राह्मणों के साथ-साथ सभी वर्गों के पुजारी इन विवाहों को संपन्न कराएंगे।

एक बारात में सब साथ

इस समारोह में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिलेगा जब पहली बार सामूहिक बारात निकलेगी। अगड़े, पिछड़े और दलित वर्ग के दूल्हे एक साथ घोड़ी, बग्घी और रथ पर सवार होकर निकलेंगे जो सामाजिक समरसता का एक मजबूत संदेश देगा। इन पिछड़े और दलित दूल्हों के साथ-साथ उनकी बेटियों का स्वागत करने के लिए शहर के अगड़े समाज के लोग भी मौजूद रहेंगे।

सरसंघचालक धोएंगे बेटियों के पैर

शाम 4 बजे शंकुलधारा कुंड से बारात की शुरुआत होगी जो शहर में घूमकर वापस कुंड पर आएगी। कुंड की सीढ़ियों पर 125 भव्य वेदियां सजाई गई हैं जहां हर वेदी पर एक जोड़ा विवाह बंधन में बंधेगा। शाम 5.30 बजे द्वारपूजा और जयमाला का कार्यक्रम होगा। इस दौरान स्वयं सरसंघचालक मोहन भागवत बेटियों के पांव पखारकर उन्हें आशीर्वाद देंगे। इस खास अवसर पर अंतरजातीय विवाह भी कराए जाएंगे जो समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव को मिटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

 

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एकता का मंच, संदेश भी

मोहन भागवत पहले ही कह चुके हैं कि हिंदू समाज को 'एक मंदिर, एक कुआं, और एक श्मशान' के सिद्धांत को अपनाकर सामाजिक एकता को मजबूत करना चाहिए और काशी में यह पहल उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कुंड के दो किनारों पर दो मंच बनाए गए हैं। एक मंच से मोहन भागवत उपस्थित जनसमूह को संबोधित करेंगे जबकि दूसरे मंच पर भक्तिमय गीत-संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

इस पूरे समारोह के दौरान आने वाले अतिथि और दर्शक रक्तदान और नेत्रदान के लिए संकल्प पत्र भी भरेंगे जिसमें वे अपना नाम, आयु, रक्त समूह और संपर्क विवरण जैसी जानकारी देंगे और नेत्रदान की अपनी स्वीकृति भी दर्ज कराएंगे।

 

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हर वर्ग की भागीदारी, अंतरजातीय विवाह भी

समारोह के आयोजक और संघ के क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल ने बताया कि इस कन्यादान महोत्सव में समाज के सभी वर्गों के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। हर वेदी पर कन्याओं के पांव पखारने के लिए शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहेंगे। जिस प्रकार एक पिता अपनी बेटी का कन्यादान करता है उसी भावना और रीति-रिवाजों के साथ सभी रस्में निभाई जाएंगी। इस पवित्र बंधन में अंतरजातीय जोड़े भी बंधेंगे और सात फेरे लेंगे। विवाह संपन्न होने के बाद संघ प्रमुख सभी नवविवाहित जोड़ों और उपस्थित लोगों को संबोधित करेंगे।

इस भव्य समारोह के माध्यम से संघ एक बड़ा और महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास करेगा। विवाह संपन्न कराने वाले पुजारी समाज के सभी वर्गों से होंगे जो यह संदेश देगा कि देश के उन हिस्सों में जहां दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने जैसी घटनाएं सामने आती हैं वे अब आगे से नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही अंतरजातीय विवाह को भी बढ़ावा दिया जाएगा। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने शताब्दी वर्ष में इस तरह के सामाजिक एकता और समरसता के कई और अभियान चलाएगा और यह कार्यक्रम उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है।

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