Edited By Radhika,Updated: 11 Jul, 2024 06:36 PM
महाराष्ट्र सरकार ने व्यक्तियों और संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से बृहस्पतिवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जोर देकर कहा कि प्रभावी कानूनी माध्यमों से ग्रामीण और शहरी...
नेशनल डेस्क: महाराष्ट्र सरकार ने व्यक्तियों और संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से बृहस्पतिवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जोर देकर कहा कि प्रभावी कानूनी माध्यमों से ग्रामीण और शहरी इलाकों में नक्सली संगठनों की बढ़ती मौजूदगी पर शिकंजा कसने की जरूरत है। 'महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा अधिनियम 2024' नामक इस विधेयक को शहरी क्षेत्रों में नक्सलवाद और उसके समर्थकों से होने वाले खतरों पर अंकुश लगाने के लिए अहम माना जा रहा है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा ने गैरकानूनी गतिविधियों की प्रभावी रोकथाम के लिए जन सुरक्षा अधिनियम बनाए हैं।
राज्य विधानमंडल के निचले सदन में प्रस्तुत विधेयक में हिंसा, बर्बरता या जनता में भय व आशंका उत्पन्न करने वाले अन्य कार्यों में संलिप्तता या उनका प्रचार करना गैरकानूनी गतिविधियों के रूप में वर्णित किया गया है। इसमें कहा गया है कि आग्नेयास्त्रों, विस्फोटकों या अन्य उपकरणों के इस्तेमाल में संलिप्त होना या इन्हें प्रोत्साहित करना, स्थापित कानून और कानूनी संस्थाओं की अवज्ञा को प्रोत्साहित करना या उसका प्रचार करना भी एक गैरकानूनी गतिविधि है। विधेयक में कहा गया है कि किसी गैरकानूनी संगठन से जुड़ने पर तीन से सात साल के जेल की सजा हो सकती है, और 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। राज्य के उपमुख्यमंत्री सह गृह मंत्री फडणवीस ने कहा कि नक्सलवाद का खतरा केवल सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि नक्सली संगठनों के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में भी इसकी उपस्थिति बढ़ रही है।