Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 04 Jul, 2025 10:34 AM

भारत में रेबीज के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता सामने आई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (ICMR-NIE) के निदेशक डॉ. मनोज मुरहेकर के अनुसार, देश में रेबीज से होने वाली मौतों में 75% की कमी आई है। यह उपलब्धि भारत...
नेशनल डेस्क: भारत में रेबीज के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता सामने आई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (ICMR-NIE) के निदेशक डॉ. मनोज मुरहेकर के अनुसार, देश में रेबीज से होने वाली मौतों में 75% की कमी आई है। यह उपलब्धि भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों के असरदार क्रियान्वयन का संकेत है। हालांकि यह प्रगति उत्साहजनक है, फिर भी आंकड़े चिंताजनक हैं। देश में अब भी हर साल लगभग 5,700 लोग रेबीज के कारण जान गंवा देते हैं। यह संख्या भारत को दुनिया के उन देशों में शामिल करती है जहां रेबीज से सबसे अधिक मौतें होती हैं।
क्या है रेबीज और कैसे होता है संक्रमण?
रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों, खासकर कुत्तों के काटने से फैलती है। यदि समय रहते उपचार न मिले तो यह लगभग 100% जानलेवा साबित होती है। यह वायरस मस्तिष्क और स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है।
सरकार का लक्ष्य: 2030 तक रेबीज से शून्य मृत्यु
भारत सरकार ने 2030 तक देश को रेबीज से मुक्त करने का लक्ष्य तय किया है। यह लक्ष्य "वन हेल्थ" (One Health) दृष्टिकोण पर आधारित है जिसमें मनुष्यों, जानवरों और पर्यावरण तीनों के बीच संतुलन बनाकर काम किया जा रहा है।
मौतों में आई कमी कैसे मुमकिन हुई?
रेबीज से होने वाली मौतों में आई कमी के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं:
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जागरूकता अभियान: लोगों को कुत्तों से सुरक्षित रहने और काटे जाने पर तुरंत इलाज कराने के लिए जागरूक किया गया।
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प्री-एक्सपोजर और पोस्ट-एक्सपोजर वैक्सीनेशन: समय पर टीकाकरण ने संक्रमण को फैलने से रोका।
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स्ट्रे डॉग कंट्रोल: आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रमों ने भी संक्रमण पर रोक लगाने में मदद की।
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स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण: प्राथमिक स्तर पर ही सही इलाज शुरू करने की क्षमता बढ़ी है।
मौतों में कमी एक बड़ी सफलता जरूर है लेकिन अभी 5,700 मौतें हर साल बताती हैं कि काम अधूरा है। खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां मेडिकल सुविधाएं सीमित हैं वहां तत्काल उपचार अब भी एक चुनौती बना हुआ है।
क्या करना होगा आगे?
साल 2030 का लक्ष्य हासिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर तेज़ और टिकाऊ कदम उठाने होंगे:
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हर गांव और शहर में रेबीज वैक्सीन की उपलब्धता
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पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार
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स्कूलों और समुदायों में जागरूकता अभियान
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डॉग पॉपुलेशन कंट्रोल प्रोग्राम का मजबूती से क्रियान्वयन