लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद राहुल गांधी को खाली करना पड़ सकता है सरकारी बंगला

Edited By Yaspal,Updated: 24 Mar, 2023 06:39 PM

rahul gandhi may have to vacate the government bungalow

सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलने पर एक महीने के भीतर लुटियंस दिल्ली स्थित अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है

नेशनल डेस्कः सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि मामले में ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलने पर एक महीने के भीतर लुटियंस दिल्ली स्थित अपना सरकारी बंगला खाली करना पड़ सकता है। गांधी को 2004 में लोकसभा सांसद चुने जाने के बाद 12, तुगलक लेन बंगला आवंटित किया गया था।

सूरत की एक अदालत द्वारा राहुल गांधी को 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने और दो साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने उन्हें सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया। हालांकि सूरत की अदालत ने तत्काल जमानत देते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया है।

आवासन और शहरी विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘चूंकि उन्हें लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया है, इसलिए वह सरकारी आवास के हकदार नहीं हैं। नियमों के अनुसार, उन्हें अयोग्यता आदेश की तारीख से एक महीने के भीतर अपना आधिकारिक बंगला खाली करना होगा।'' कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा को जुलाई 2020 में लोधी एस्टेट स्थित अपना आधिकारिक बंगला खाली करना पड़ा था क्योंकि सुरक्षा कम किए जाने के बाद वह इसके लिए पात्र नहीं थीं। कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि वह राहुल गांधी की दोषसिद्धि और अयोग्यता के खिलाफ राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लड़ेगी।

अयोग्य ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे जब तक कि ऊपरी अदालत उनकी दोषसिद्धि और सजा पर रोक नहीं लगा देती। इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा कि यह ‘‘भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन'' है। उसने कहा कि लड़ाई ‘‘कानूनी और राजनीतिक'' दोनों तरीके से लड़ी जाएगी। विपक्षी दल ने यह भी आरोप लगाया कि यह कार्रवाई ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध'' से प्रेरित है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भाजपा ने उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए सभी प्रयास किए क्योंकि वह सच बोल रहे थे। खरगे ने आरोप लगाया, ‘‘उन्हें सच बोलने, संविधान और लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने की वजह से सदन से हटाया गया है।''

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