म्यूचुअल फंड्स और PMS को टक्कर देने आया SIF, जानिए वो बातें जो कोई नहीं बताएगा आपको, जल्दी पढ़ें

Edited By Updated: 05 Jul, 2025 12:07 PM

sif came to compete with mutual funds and pms

निवेश के पारंपरिक तरीके जैसे म्यूचुअल फंड और PMS अब पुराने हो गए हैं। मार्च 2024 में SEBI ने एक नया निवेश विकल्प शुरू किया है, जिसका नाम है स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड यानी SIF। यह उन निवेशकों के लिए है जो कम पूंजी में प्रोफेशनल स्तर का निवेश करना...

नेशनल डेस्क: निवेश के पारंपरिक तरीके जैसे म्यूचुअल फंड और PMS अब पुराने हो गए हैं। मार्च 2024 में SEBI ने एक नया निवेश विकल्प शुरू किया है, जिसका नाम है स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड यानी SIF। यह उन निवेशकों के लिए है जो कम पूंजी में प्रोफेशनल स्तर का निवेश करना चाहते हैं और म्यूचुअल फंड या PMS से कुछ ज्यादा आजादी और नियंत्रण की उम्मीद रखते हैं। SIF निवेशकों को पारदर्शिता के साथ-साथ कम निवेश सीमा में ज्यादा लचीलापन देता है। यह फंड खासतौर पर उन अनुभवी निवेशकों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो पारंपरिक निवेश से अलग कुछ नया और स्मार्ट विकल्प तलाश रहे हैं।

SIF कैसे अलग है म्यूचुअल फंड और PMS से?

म्यूचुअल फंड उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो कम राशि में निवेश करना चाहते हैं और ज्यादा रिस्क नहीं लेना चाहते। इसमें निवेशकों का पैसा मिलाकर विशेषज्ञ मैनेजर्स अलग-अलग शेयर, बॉन्ड या स्कीमों में लगाते हैं। PMS (पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज) उन लोगों के लिए होता है जिनके पास बड़ी रकम होती है, और वे चाहते हैं कि उनका पैसा पूरी तरह से उनकी जरूरत और रिस्क प्रोफाइल के अनुसार मैनेज हो। इसमें कम से कम ₹50 लाख का निवेश जरूरी होता है। PMS में संभावित रिटर्न ज्यादा हो सकता है, लेकिन खर्च और रिस्क भी अधिक होता है। अब SIF इस बीच का विकल्प है, जो PMS के मुकाबले कम निवेश की मांग करता है, लेकिन म्यूचुअल फंड से ज्यादा कंट्रोल और फ्रीडम देता है। SIF में आमतौर पर ₹10 लाख या उससे ऊपर का निवेश किया जाता है। यह AIF (अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड) से ज्यादा कड़े नियमों के तहत आता है, जिससे निवेशक को बेहतर सुरक्षा मिलती है।

SIF में निवेश के फायदे क्या हैं?

  • कम निवेश सीमा: PMS के मुकाबले कम राशि में निवेश संभव है।

  • ज्यादा नियंत्रण: निवेशक अपनी पसंद और जरूरत के अनुसार निवेश रणनीति बना सकता है।

  • पारदर्शिता: SEBI के नियमों के कारण फंड की होल्डिंग्स और प्रबंधन की जानकारी आसानी से उपलब्ध होती है।

  • फ्लेक्सिबिलिटी: निवेशक को निवेश करने में ज्यादा स्वतंत्रता मिलती है।

  • प्रोफेशनल मैनेजमेंट: फंड विशेषज्ञों द्वारा मैनेज होता है, जिससे बेहतर रिटर्न की संभावना बढ़ती है।

SIF में निवेश के जोखिम और जरूरी बातें

जहां SIF में रिटर्न की संभावना ज्यादा होती है, वहीं इसके साथ रिस्क भी अधिक होता है। इनमें डेरिवेटिव्स और लीवरेज का उपयोग होता है, जिससे नुकसान का खतरा भी रहता है।

  • मैनेजमेंट फीस और प्रदर्शन शुल्क: आमतौर पर 1-2% सालाना मैनेजमेंट फीस और 10-20% प्रदर्शन शुल्क लिया जाता है, जो म्यूचुअल फंड की तुलना में काफी अधिक है।

  • रिस्क प्रोफाइल: यह निवेश सिर्फ उन्हीं निवेशकों के लिए है जो हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) हैं और जोखिम सहन कर सकते हैं।

  • लिक्विडिटी की शर्तें: निवेश के समय फंड की लिक्विडिटी की शर्तों को ध्यान से पढ़ना जरूरी है।

  • डॉक्यूमेंटेशन की जांच: निवेश से पहले फंड के सभी डॉक्यूमेंट्स, होल्डिंग्स, रिस्क फैक्टर्स और फीस स्ट्रक्चर को ध्यान से समझें।

कैसे करें SIF में निवेश?

साधारण निवेशक सीधे SIF में निवेश नहीं कर सकते, लेकिन कुछ फीडर फंड्स या फंड-ऑफ-फंड्स के जरिए इसमें इनडायरेक्ट निवेश किया जा सकता है। निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना बेहद जरूरी है ताकि आप अपने निवेश को सुरक्षित और सफल बना सकें।

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