ASEAN बैठक में बोले राजनाथ सिंह, दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद और कट्टरपंथ

Edited By Seema Sharma,Updated: 16 Jun, 2021 03:05 PM

terrorism and extremism are the biggest threats to the world rajnath singh

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को 10 राष्ट्रों के ग्रुप आसियान (ASEAN) और उसके कुछ साझेदारों को डिजिटली संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद और कट्टरपंथ हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि आतंकवाद और कट्टरता दुनिया में शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे हैं तथा इन चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। ‘आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग-प्लस' (ADMM-Plus) में वर्चुअल संबोधन में राजनाथ सिंह ने समुद्री सुरक्षा चुनौतियों पर भारत की चिंताओं को भी रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने अहम समुद्री मार्गों में चीन के आक्रामक व्यवहार का परोक्ष जिक्र करते हुए कहा कि दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने इस क्षेत्र में ध्यान आकर्षित किया। सिंह ने देशों की क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुत्ता, संवाद के जरिए विवादों के शांतिपूर्ण समाधान तथा अंतर्राष्ट्रीय नियमों और कानूनों के अनुपालन के आधार पर इस क्षेत्र को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने का आह्वान किया।

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रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से अभी उबर रहा है जिसने देश की चिकित्सा प्रतिक्रिया को सीमित कर दिया और उन्होंने पेटेंट मुक्त टीके उपलब्ध कराने, अबाधित आपूर्ति श्रृंखला और महामारी को हराने में चिकित्सा क्षमताएं बढ़ाने के लिए समन्वित वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया। राजनाथ ने पाकिस्तान का प्रत्यक्ष रूप से जिक्र किए बिना आतंकवाद को बढ़ावा देने, उसका समर्थन और वित्त पोषण करने तथा आतंकवादियों को शरण देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और कट्टरता दुनिया के सामने शांति तथा सुरक्षा के लिए आज सबसे गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के सदस्य के तौर पर भारत वित्तीय आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

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रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद के बारे में वैश्विक चिंताएं साझा करता है और यह मानता है कि जब आतंकवादियों के बीच गठजोड़ चिंताजनक स्थिति तक पहुंच रहा है तो केवल सामूहिक सहयोग से ही आतंकी संगठन और उनके नेटवर्कों को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता है, दोषियों की पहचान की जा सकती है और उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।'' एडीएमएम-प्लस आसियान (दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संघ) के 10 देशों और उसके आठ वार्ता सहयोगियों भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और अमेरिका का मंच है। सिंह ने कहा कि भारत ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के प्रचार के लिए बदलते दृष्टिकोणों और मूल्यों के आधार पर हिंद-प्रशांत में सहयोगी भागीदारी मजबूत की है। राजनाथ ने कहा कि संचार के समुद्री मार्ग हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए अहम हैं।

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राजनाथ ने कहा कि समुद्री सुरक्षा चुनौतियां भारत के लिए चिंता का एक अन्य सबब है। इस संबंध में दक्षिण चीन सागर में गतिविधियों ने क्षेत्र में तथा इससे आगे ध्यान आकर्षित किया है। भारत इन अंर्तराष्ट्रीय समुद्री मार्गों में नौवहन, समुद्री क्षेत्रों पर उड़ान भरने और बेरोकटोक व्यापार की आजादी का समर्थन करता है।'' सिंह ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि आचार संहिता पर बातचीत के नतीजे निकलेंगे जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार होंगे और उन देशों के वैध अधिकारों तथा हितों का उल्लंघन नहीं करेंगे जो इन बातचीत का हिस्सा नहीं हैं। ने साइबर हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि रैंसमवेयर, वानाक्राई हमलों और क्रिप्टो मुद्रा चोरी की घटनाओं से ये बड़े पैमाने पर दिखाई देते हैं और यह चिंता की बात है।

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