सरकारी के मुकाबले इतने गुना ज्यादा है प्राइवेट स्कूलों का खर्च, चौंका देंगे आंकड़े

Edited By Updated: 28 Aug, 2025 03:47 PM

the expenses of private schools are many times more than government schools

देश में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, एक ताज़ा सरकारी सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। शिक्षा पर खर्च को लेकर किए गए कॉम्प्रिहेंसिव मॉड्यूल सर्वे: एजुकेशन 2025 से यह पता चला है कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना...

नेशनल डेस्क: देश में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, एक ताज़ा सरकारी सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। शिक्षा पर खर्च को लेकर किए गए कॉम्प्रिहेंसिव मॉड्यूल सर्वे: एजुकेशन 2025 से यह पता चला है कि प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना माता-पिता की जेब पर भारी पड़ रहा है। वहीं, सरकारी स्कूलों में नामांकन के बावजूद अधिकांश छात्रों से फीस नहीं ली जा रही है।

प्राइवेट स्कूलों में खर्च 8 गुना ज़्यादा
इस सर्वे में देशभर से 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों से इंटरव्यू लिए गए। इसके अनुसार, सरकारी स्कूलों में औसतन सालाना खर्च 2,863 रुपए है, जबकि प्राइवेट स्कूलों में यह खर्च 25,002 रुपए तक पहुंच चुका है। यानी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई कराने का खर्च सरकारी स्कूलों की तुलना में लगभग 8.8 गुना अधिक है

शहरों और गांवों में बड़ा अंतर
- शहरी और ग्रामीण इलाकों में भी शिक्षा पर खर्च में बड़ा अंतर देखा गया है।
- शहरी छात्रों की औसत कोर्स फीस: ₹15,143
- ग्रामीण छात्रों की औसत कोर्स फीस: ₹3,979
- इसके अलावा, स्टेशनरी और किताबों का औसतन खर्च 2,002 रुपए सामने आया है।

कोचिंग ने और बढ़ाया बोझ
सिर्फ स्कूल की फीस ही नहीं, कोचिंग का खर्च भी अब माता-पिता की चिंताओं को बढ़ा रहा है। सर्वे में बताया गया कि 27% छात्र कोचिंग ले रहे हैं या ले चुके हैं।

- शहरी छात्रों की कोचिंग फीस: ₹3,988

- ग्रामीण छात्रों की कोचिंग फीस: ₹1,739

- शहरों में 12वीं कक्षा के लिए कोचिंग फीस: ₹9,950

- ग्रामीण क्षेत्रों में 12वीं की कोचिंग फीस: ₹4,548

सरकारी स्कूलों में ज्यादा नामांकन, फिर भी कम खर्च
सर्वे के मुताबिक, देश के 66% ग्रामीण और 30.1% शहरी छात्रों का नामांकन सरकारी स्कूलों में है। कुल मिलाकर, देशभर में 55.9% छात्रों का नामांकन सरकारी स्कूलों में है। इनमें से केवल 26.7% छात्र ही फीस देते हैं, जबकि प्राइवेट स्कूलों में 95.7% छात्रों से कोर्स फीस ली जाती है। हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने यह साफ किया है कि यह आंकड़े अनुमानित हैं और इनमें थोड़ी बहुत त्रुटि की संभावना हो सकती है, लेकिन इससे शिक्षा क्षेत्र में बढ़ते खर्च और माता-पिता पर बढ़ते आर्थिक बोझ की तस्वीर जरूर साफ होती है।

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